आज के समय में हर दूसरा व्यक्ति किसी न किसी बीमारी से ग्रसित है ही। वहीं एक बीमारी है डायबिटीज, यह बीमारी लाइलाज बीमारी में से एक है। डायबिटीज के मरीज महंगी-महंगी दवाईयों का सेवन करते है।
दवाईयों के सेवन से बीमारीयों पर कंट्रोल तो जरूर होता है। लेकिन कई बीमारियां आयुर्वेद से भी ठीक हो सकती है। डायबिटीज की बीमारी या शुगर को कंट्रोल करने के लिए आयुर्वेदिक औषधि के रूप में कचनार का नाम आता है। यह सबसे खास औषधि है जो कई बीमारियों पर राहत देने का काम करती है।
आयुर्वेद में कचनार को रामबाण औषधि के रूप में माना जाता है। यह एक बहुमूल्य औषधीय पौधा है, जो भारतीय उपमहाद्वीप में पाया जाता है। इसके फूल, पत्ते और विशेष रूप से छाल कई स्वास्थ्य समस्याओं के लिए रामबाण सिद्ध होते हैं। इसकी सबसे खास बात यह है कि कचनार में एंटी-कैंसर गुण पाए जाते हैं और यह शरीर में कहीं भी गांठ को चाहे वह थॉयराइड की गांठ हो, नसों में गांठ, ब्रेन ट्यूमर या गर्भाशय में फाइब्रॉइड जैसी समस्या गलाने में सहायक होता है।
आयुर्वेदाचार्य ने इस कचनार के औषधीय गुणों के बारे में बताया कि शरीर की किसी गांठ को गलाने के लिए कचनार की छाल फायदेमंद साबित होती है। इसको उबालकर पीने या कचनार गुग्गुल के साथ सेवन करने से बेहतर परिणाम मिलते हैं। घर पर कचनार गुग्गुल बनाने का तरीका भी सरल है।
वहीं इसके लिए शुद्ध गुग्गुल को घी में पिघलाएं, फिर कचनार की छाल और पत्तों का रस मिलाकर पकाएं और छोटी-छोटी गोलियां बनाकर रखें। सुबह-शाम दो गोलियां कचनार के काढ़े के साथ लें।
बता दें कि महिलाएं अपने स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए कचनार का इस्तेमाल करती हैं। कचनार के फूलों का काढ़ा पीरियड्स संबंधी अनियमितताओं और दर्द, ऐंठन में आराम देता है। बुखार के इलाज में भी छाल का काढ़ा उपयोगी सिद्ध होता है। कचनार के अर्क में मौजूद कैंसर विरोधी गुण कैंसर सेल्स को बढ़ने से रोकते हैं, जो इसे एक शक्तिशाली रसायन बनाते हैं।
डायबिटीज रोगियों के लिए इसके पत्तों का रस ब्लड ग्लूकोज लेवल को नियंत्रित करने में सहायक होता है। त्वचा की समस्याओं जैसे एक्जिमा, दाद और खुजली में फूलों का लेप लगाने से फायदा मिलता है। मुंह के छालों के लिए भी छाल का काढ़ा प्रभावी है।
डिस्क्लेमर : उत्तरा न्यूज इसकी पुष्टि नहीं करता, इस उपाय को अपनाने से पहले अपने चिकित्सक से परामर्श जरूर लें। बिना डॉक्टर की सलाह के कोई उपाय ना अपनाए।
