वृद्धाश्रमों की सुधरेगी स्थिति, उत्तराखंड सरकार लाएगी वरिष्ठ नागरिक आवास नीति

उत्तराखंड में वृद्ध आश्रमों की खराब हालत को देखने के बाद अब सरकार की चिंता काफी बढ़ गई है। कहीं स्वास्थ्य सुविधाओं में कमी है…

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उत्तराखंड में वृद्ध आश्रमों की खराब हालत को देखने के बाद अब सरकार की चिंता काफी बढ़ गई है। कहीं स्वास्थ्य सुविधाओं में कमी है तो कहीं देखरेख का अभाव है। ऐसे में वरिष्ठ नागरिक उपेक्षा का शिकार हो रहे हैं।

अब आवास विभाग वरिष्ठ नागरिक सुरक्षित आवास नीति की तैयारी कर रहे हैं ताकि वृद्धा आश्रम में बुजुर्गों को उनका अधिकार मिल सके और उनकी सुरक्षा और सम्मानजनक जीवन भी मिल सके। आवास विभाग में इस नीति के लिए ड्राफ्ट तैयार कर लिया है। प्रस्तावित नीति में महाराष्ट्र, केरल, तमिलनाडु और गुजरात जैसे राज्यों के सफल माडलों को आधार बनाया जा रहा है।

इसके तहत सभी सरकारी, गैर-सरकारी और निजी वृद्धाश्रमों के लिए अनिवार्य न्यूनतम मानक तय होंगे। स्वच्छ और सुरक्षित भवन, पर्याप्त रोशनी व हवादार कमरे, पौष्टिक भोजन, साफ पेयजल, हाइजीनिक रसोई और उम्र के अनुकूल ढांचा अनिवार्य किया जाएगा।


नीति में नियमित स्वास्थ्य जांच, दवाओं की उपलब्धता, प्रशिक्षित नर्सिंग स्टाफ, फिजियोथेरेपी, मानसिक स्वास्थ्य काउंसलिंग और 24 घंटे आपातकालीन सेवाओं को अनिवार्य किया जाएगा। महिला-पुरुष के लिए अलग सुविधा क्षेत्र, दिव्यांगों के लिए अनुकूल डिजाइन, फायर सेफ्टी, सीसीटीवी निगरानी और पैनिक बटन जैसी स्मार्ट सुविधाओं का भी प्रविधान किया जाएगा।


वहीं अब इसमें शिकायत निवारण के लिए सशक्त नियम भी लागू किए जाएंगे लापरवाही पर सख्त कार्यवाही भी की जाएगी। यह नीति लागू होने के बाद वृद्धा आश्रमों की नियमित जांच ग्रेडिंग और सोशल ऑडिट भी होगा।


उत्तराखंड में क्यों जरूरी


निरीक्षण में कई वृद्धाश्रमों में स्वास्थ्य सुविधाओं और प्रशिक्षित स्टाफ की कमी पाई गई।


कुछ स्थानों पर बुजुर्गों को समय पर दवा और उपचार न मिलने की शिकायतें सामने आईं।


पंजीकरण, निगरानी और जवाबदेही का ठोस ढांचा न होने से व्यवस्थाएं अभी कमजोर हैं।


अकेले रहने वाले बुजुर्गों का साथी बनेगा वृद्धाश्रम
राष्ट्रीय सर्वे के अनुसार लगभग हर दूसरा बुज़ुर्ग अकेलापन महसूस करता है। पलायन और एकल परिवारों के कारण उत्तराखंड के शहरी क्षेत्रों में ऐसे वरिष्ठ नागरिकों की संख्या काफी है।


अध्ययन बताते हैं कि करीब 14.3 प्रतिशत बुज़ुर्ग अकेले रह रहे हैं, उत्तराखंड के पहाड़ी जिलों में रोजगार के लिए पलायन से बुजुर्गों के सामने अकेले रहने की विवशता बढ़ी है।


अकेलापन बुज़ुर्गों के मानसिक स्वास्थ्य पर सीधा असर डाल रहा है। राष्ट्रीय स्तर पर 41 प्रतिशत बुज़ुर्ग तनाव, अवसाद या चिंता से ग्रसित हैं।

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