भारत में मोबाइल अब सिर्फ बातें करने या टाइम पास का जरिया नहीं रहा है। बैंकिंग से लेकर ऑनलाइन पेमेंट और रोजमर्रा के डिजिटल काम उसी पर चलते हैं। लेकिन जैसे जैसे यह इस्तेमाल बढ़ा है वैसे ही फोन चोरी , फर्जी सिम , आईएमईआई क्लोनिंग , कॉल स्कैम और ऑनलाइन ठगी जैसी परेशानियां भी लोगों के सिर पर लगातार मंडराने लगी हैं।
इन्हीं परेशानियों से निपटने के लिए सरकार ने कुछ महीने पहले संचार साथी नाम का एक ऐप शुरू किया था। शुरुआत में लोगों ने इसे ज्यादा गंभीरता से नहीं लिया था। लेकिन बुधवार को आई ताजा रिपोर्ट्स ने तस्वीर बदल दी। एक ही दिन में इस ऐप के डाउनलोड अचानक पचास हजार से साठ हजार के औसत से छलांग लगाकर करीब छह लाख पहुंच गए। यह बढ़ोतरी इतनी तेज थी कि तकनीकी जानकार भी हैरान रह गए।
सरकार की नई पॉलिसी और डिजिटल धोखाधड़ी के बढ़ते मामलों के बीच लोग अब अपने फोन को सुरक्षित रखने के लिए इस ऐप की ओर भाग रहे हैं। हालांकि कुछ लोग इसे प्राइवेसी के खिलाफ भी बता रहे हैं , लेकिन फिलहाल बहस से ज्यादा डाउनलोड की रफ्तार चर्चा में है।
संचार साथी असल में क्या करता है , यह सवाल भी खूब पूछा जा रहा है। यह ऐप आपके खोए या चोरी हुए फोन का आईएमईआई बंद करा सकता है , जिससे कोई और उसका इस्तेमाल न कर सके। आपके नाम पर कितने मोबाइल नंबर चल रहे हैं , यह भी इसी से पता चल जाता है। कोई फर्जी सिम या डुप्लीकेट कनेक्शन बना हुआ है तो वह भी पकड़ में आ जाता है। अगर कोई संदिग्ध कॉल , स्पैम मैसेज या डिजिटल फ्रॉड आता है तो आप सीधे शिकायत भी कर सकते हैं। सरकार का दावा है कि इससे फोन चोरी , सिम फ्रॉड और आईएमईआई स्पूफिंग जैसे मामले काफी हद तक कम होंगे।
इस ऐप की मांग अचानक क्यों बढ़ी , इसकी वजह रविवार 28 नवंबर को जारी एक सरकारी आदेश में छिपी है। इसमें मोबाइल बनाने वाली कंपनियों को कहा गया था कि नए वॉल्यूम फोन्स में यह ऐप पहले से डालकर बेचें और पुराने फोन्स में अपडेट के जरिए भेजें। आदेश सामने आते ही देश भर में लोग इस ऐप को देखने लगे और फिर मंगलवार को इसके डाउनलोड अचानक कई गुना बढ़ गए। आदेश से पहले भी लगभग डेढ़ करोड़ लोग इसे डाउनलोड कर चुके थे , लेकिन नया निर्देश आते ही बाकी लोग भी इसे अपनाने लगे।
दिख रहा है कि लगातार बढ़ रहे साइबर फ्रॉड ने लोगों को डरा दिया है। इसी डर की वजह से सुरक्षा का यह ऐप अब आम लोगों के मोबाइल की जरूरत बनता जा रहा है।
