उत्तराखंड में 13 साल से कम उम्र के बच्चों की गुमशुदगी की जांच अब एएचटीयू करेगा, अधिकारियों को भी दिए गए खास निर्देश

देहरादून: उत्तराखंड में 13 साल से कम उम्र के बच्चों की गुमशुदगी के मामलों की जांच अब सीधे एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट (एएचटीयू) को सौंपी…

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देहरादून: उत्तराखंड में 13 साल से कम उम्र के बच्चों की गुमशुदगी के मामलों की जांच अब सीधे एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट (एएचटीयू) को सौंपी जाएगी, ताकि मासूम बच्चों की तलाश और मामलों की जांच में किसी प्रकार की ढिलाई न हो। आईजी गढ़वाल राजीव स्वरूप ने सातों जिलों में एएचटीयू के कार्यों की समीक्षा के दौरान अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए हैं। मानव तस्करी और बच्चों की गुमशुदगी के बढ़ते मामलों को देखते हुए एएचटीयू की जिम्मेदारी बढ़ा दी गई है।

समीक्षा बैठक में एएचटीयू के नोडल अधिकारी और उपनिरीक्षकों को उनके कार्यों का बंटवारा करने के निर्देश दिए गए, ताकि हर स्तर पर जवाबदेही सुनिश्चित की जा सके। इसके अलावा देहरादून में 6, हरिद्वार में 8 और पौड़ी में 1 गुमशुदगी मामले लंबित हैं, जिनकी विवेचना और एसओपी के अनुसार कार्रवाई की समीक्षा भी की गई। एसओपी को दोबारा उपलब्ध कराने और उसमें दिए गए निर्देशों के अनुसार शत प्रतिशत कार्रवाई अमल में लाने के निर्देश दिए गए।

पिछले तीन सालों में गुमशुदा हुए बालक और बालिकाओं, जिनकी बरामदगी नहीं हुई, उनकी भी क्रमवार समीक्षा करने के आदेश दिए गए हैं। एएचटीयू को अपने कार्यालयों में विधिवत रजिस्टर व्यवस्थित करने होंगे, जिसमें गुमशुदा बच्चों, महिलाओं और पुरुषों का विवरण दर्ज रहेगा। हर जिले की एएचटीयू को बरामद गुमशुदाओं के मोबाइल और अंतिम लोकेशन की जानकारी रखनी होगी और संबंधित थानों के साथ सहयोग करना होगा।

एएचटीयू का दायित्व होगा कि जिले में बरामद लावारिस शवों की जानकारी रखी जाए और मानव तस्करी में संलिप्त आरोपियों का डेटाबेस तैयार किया जाए। सीमावर्ती प्रदेशों से आए व्यक्तियों और लड़कियों को विवाह के बहाने ले जाने वाले मामलों की जानकारी जुटाने और संभावित शोषण से बचाने के लिए प्रभावित क्षेत्रों की पहचान करने का काम भी एएचटीयू करेगा।

आपदा में अनाथ हुए बच्चों का डेटाबेस तैयार करने, बाल आश्रय गृहों का समय-समय पर निरीक्षण करने और नाबालिग बच्चों को भिक्षावृत्ति में शामिल करने वाले लोगों पर निगरानी रखने के निर्देश भी दिए गए हैं। प्रत्येक जिला प्रभारी को यह सुनिश्चित करना होगा कि 13 साल से कम उम्र के बच्चों की गुमशुदगी की जांच पंजीकरण के तुरंत बाद एएचटीयू को सौंप दी जाए। आईजी गढ़वाल ने कहा कि एएचटीयू का गठन परिक्षेत्र कार्यालय में इसलिए किया गया है ताकि कार्यों की समीक्षा, जिलों में समन्वय और संकलित डेटाबेस की व्यवस्था पूरी तरह प्रभावी ढंग से हो सके।