UKD नेता दिवाकर भट्ट नहीं रहे — 1979 से लेकर राज्य निर्माण तक अग्रिम पंक्ति में रहे शामिल

उत्तराखण्ड ने खो दिया आंदोलन का एक मजबूत स्तम्भ हरिद्वार/देहरादून। उत्तराखण्ड क्रान्ति दल को एक वर्ष के भीतर दूसरा बड़ा सदमा लगा है। दल के…

UKD leader Diwakar Bhatt is no more – he was at the forefront from 1979 till the formation of the state.

उत्तराखण्ड ने खो दिया आंदोलन का एक मजबूत स्तम्भ

हरिद्वार/देहरादून। उत्तराखण्ड क्रान्ति दल को एक वर्ष के भीतर दूसरा बड़ा सदमा लगा है। दल के दो बार अध्यक्ष रहे और राज्य के पूर्व मन्त्री दिवाकर भट्ट का बीएचईएल-हरिद्वार स्थित आवास पर निधन हो गया। वे पिछले लंबे समय से अस्वस्थ चल रहे थे।


परिजनों के अनुसार उन्हें कुछ दिन पहले देहरादून के महंत इन्द्रेश अस्पताल में भर्ती कराया गया था। स्वास्थ्य में सुधार न होने पर डॉक्टरों ने अंतिम समय घर ले जाने की सलाह दी। 24 नवम्बर को उन्हें हरिद्वार स्थित घर लाया गया जहां आज परिजनों और निकट संबंधियों की उपस्थिति में उन्होंने अंतिम सांस ली।


1979 से लेकर राज्य निर्माण तक — हमेशा रहे अग्रिम पंक्ति में
1979 में मसूरी में हुई उस ऐतिहासिक बैठक में दिवाकर भट्ट मौजूद थे, जिसमें उत्तराखण्ड क्रान्ति दल की नींव रखी गई। वे संस्थापक सदस्यों में शामिल थे।


उन्होंने टिहरी के दुर्गम खैट पर्वत और श्रीनगर के श्रीयंत्र टापू में आमरण अनशन किया — जिससे आंदोलन को नई ऊर्जा मिली और राज्य निर्माण के संकल्प को बल प्रदान हुआ।
वे लम्बे समय तक कीर्तिनगर के ब्लॉक प्रमुख रहे और 2007 में दूसरी विधानसभा के लिए निर्वाचित हुए। भुवन चन्द्र खण्डूड़ी कैबिनेट में उन्होंने राजस्व जैसे बेहद महत्वपूर्ण मंत्रालय की जिम्मेदारी निभाई।


एक साल में दूसरा दुख
पिछले वर्ष 24 नवम्बर 2024 को भी उक्रांद के दो बार अध्यक्ष रहे त्रिवेन्द्र पंवार का सड़क दुर्घटना में निधन हुआ था। उससे उभरा भी नहीं था कि यह नई शोक-खबर पार्टी और राज्य दोनों के लिए भारी पड़ गई।
यूकेडी के लिए अपूरणीय क्षति
वे ऐसे समय विदा हुए जब उत्तराखंड क्रांति दल को उनके अनुभव, संगठन क्षमता और मार्गदर्शन की सबसे ज्यादा आवश्यकता थी।