अयोध्या में उमड़ा विशाल जनसागर , राम मंदिर के शिखर पर भगवा लहरते ही गूँजी जयघोष , श्रद्धा से भर उठा पूरा शहर

अयोध्या में आज का दिन ऐतिहासिक बन गया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सुबह अयोध्या पहुंचे और राम जन्मभूमि परिसर के मुख्य शिखर पर भगवा ध्वज…

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अयोध्या में आज का दिन ऐतिहासिक बन गया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सुबह अयोध्या पहुंचे और राम जन्मभूमि परिसर के मुख्य शिखर पर भगवा ध्वज चढ़ाया। यह ध्वज उसी ऊँचे शिखर पर लगाया गया है जो उत्तर भारत की परंपरागत नागर शैली में बना है। मंदिर के चारों ओर करीब आठ सौ मीटर लंबा परकोटा तैयार किया गया है जो दक्षिण भारत की बनावट से प्रेरित है और पूरा परिसर अपनी अलग ही खूबसूरती दिखा रहा है।

प्रधानमंत्री मोदी के साथ आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत भी मौजूद रहे। दोनों ने मिलकर ध्वज को शिखर पर स्थापित किया। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी इस मौके पर उनके साथ खड़े थे। दस फीट ऊँचा और बीस फीट लंबा यह त्रिकोणीय भगवा झंडा भगवान श्रीराम के तेज का प्रतीक माना जा रहा है। इसमें चमकते सूर्य की आकृति के साथ कोविदारा वृक्ष का चिन्ह भी उकेरा गया है।

अयोध्या पहुंचने के बाद प्रधानमंत्री ने सोशल मीडिया पर लिखा कि वह राम जन्मभूमि मंदिर में ध्वजारोहण के इस पावन अवसर के लिए अयोध्या आए हैं। वह महर्षि वाल्मीकि अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर उतरे , जहाँ राज्यपाल आनंदीबेन पटेल और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उनका स्वागत किया। इसके बाद प्रधानमंत्री का काफिला रोड शो के तौर पर रामपथ की ओर बढ़ा। रास्ते भर दोनों ओर बड़ी संख्या में महिलाएँ , युवक और स्थानीय लोग खड़े थे , जो फूल बरसाकर उनका अभिवादन कर रहे थे।

सड़क किनारे लगे स्पीकरों पर लगातार राम धुन गूंज रही थी और कई लोग राष्ट्रीय ध्वज के साथ भाजपा का कमल निशान वाला झंडा भी थामे हुए थे। सुरक्षा व्यवस्था कड़ी थी लेकिन लोगों का उत्साह उससे भी बड़ा दिखाई दे रहा था। काफिला धीरे धीरे आगे बढ़ते हुए मंदिर परिसर की ओर पहुँचा।

रोड शो के बाद प्रधानमंत्री नए बने सप्तमंदिर पहुँचे। यहाँ महर्षि वशिष्ठ , महर्षि विश्वामित्र , महर्षि अगस्त्य , महर्षि वाल्मीकि , देवी अहिल्या , निषादराज गुह और माता शबरी के मंदिर एक साथ स्थापित किए गए हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक्स पर लिखा कि अयोध्या धाम में प्रधानमंत्री का स्वागत पूरे सम्मान के साथ किया गया है।

करीब 11.50 बजे के बाद मुख्य शिखर पर ध्वज चढ़ाने की रस्म पूरी की गई। प्रधानमंत्री मोदी और मोहन भागवत की मौजूदगी में यह कार्यक्रम सम्पन्न हुआ और पूरे मंदिर क्षेत्र में इस क्षण को बेहद पवित्र और ऐतिहासिक माना गया।