जस्टिस सूर्यकांत बने 53वें CJI, अपने इन फैसलों की वजह से बन चुके हैं देश में चर्चा का विषय

जस्टिस सूर्यकांत भारत के नए प्रधान न्यायाधीश बने हैं। उन्हें द्रौपदी मुर्मू ने सोमवार को शपथ दिलाई। जस्टिस सूर्यकांत ने जस्टिस बीआर गवई की जगह…

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जस्टिस सूर्यकांत भारत के नए प्रधान न्यायाधीश बने हैं। उन्हें द्रौपदी मुर्मू ने सोमवार को शपथ दिलाई। जस्टिस सूर्यकांत ने जस्टिस बीआर गवई की जगह ली है, जिनका कार्यकाल रविवार शाम समाप्त हो गया।

बता दें कि जस्टिस सूर्यकांत कई अहम फैसलों और आदेशों का हिस्सा रहे हैं। इनमें जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा प्रदान करने वाले अनुच्छेद 370 को निरस्त करने संबंधी फैसले, बिहार मतदाता सूची के गहन पुनरीक्षण, पेगासस स्पाइवेयर मामला आदि शामिल है।


जस्टिस सूर्यकांत को बीते 30 अक्टूबर को अगले प्रधान न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया था। वह इस पद पर लगभग 15 महीने तक रहेंगे। वह 65 वर्ष की आयु प्राप्त करने पर 9 फरवरी 2027 को सेवानिवृत्ति भी हो जाएंगे। पंजाब हरियाणा उच्च न्यायालय में कई उल्लेखनीय फैसला लिखने वाले न्यायमूर्ति सूर्यकांत को 5 अक्टूबर 2018 को हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय का प्रमुख न्यायाधीश नियुक्त किया गया था।


हरियाणा के हिसार जिले में 10 फरवरी, 1962 को मध्यमवर्गीय परिवार में जन्मे जस्टिस सूर्यकांत एक छोटे शहर के वकील से देश के सर्वोच्च न्यायिक पद तक पहुंचे हैं, जहां वह राष्ट्रीय महत्व और संवैधानिक मामलों के कई फैसलों और आदेशों का हिस्सा रहे। उन्हें 2011 में कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से कानून में स्नातकोत्तर में ‘प्रथम श्रेणी में प्रथम’ स्थान प्राप्त करने का गौरव भी प्राप्त है।


कुछ चर्चित फैसले
जस्टिस सूर्यकांत ने चुनाव आयोग से बिहार में मसौदा मतदाता सूची से बाहर रखे गए 65 लाख मतदाताओं का ब्योरा सार्वजनिक करने को कहा था।

उन्होंने आयोग द्वारा चुनावी राज्य में एसआईआर करने के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए यह निर्देश दिया था।


जमीनी स्तर पर लोकतंत्र और लैंगिक न्याय पर जोर देने वाले एक आदेश में, उन्होंने एक ऐसी पीठ का नेतृत्व किया जिसने गैरकानूनी तरीके से पद से हटाई गई एक महिला सरपंच को बहाल किया और मामले में लैंगिक पूर्वाग्रह को उजागर किया।


जस्टिस सूर्यकांत को यह निर्देश देने का श्रेय भी दिया जाता है कि सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन समेत बार एसोसिएशन में एक तिहाई सीट महिलाओं के लिए आरक्षित की जाएं।


न्यायमूर्ति सूर्यकांत उस पीठ का हिस्सा थे जिसने 2022 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की पंजाब यात्रा के दौरान सुरक्षा चूक की जांच के लिए शीर्ष अदालत की पूर्व न्यायमूर्ति इंदु मल्होत्रा ​​की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय समिति नियुक्त की थी।


उन्होंने रक्षा बलों के लिए ‘वन रैंक-वन पेंशन’ (ओआरओपी) योजना को भी बरकरार रखा था और इसे संवैधानिक रूप से वैध बताया तथा सशस्त्र बलों में स्थायी कमीशन में समानता का अनुरोध करने वाली महिला अधिकारियों की याचिकाओं पर सुनवाई जारी रखी।


वह उस पीठ का भी हिस्सा थे जिसने कुछ लोगों की निगरानी के लिए इजराइली स्पाइवेयर पेगासस के कथित उपयोग की जांच के लिए साइबर विशेषज्ञों की एक समिति गठित की थी।