पूर्वी चंपारण के चकिया में बन रहे विराट रामायण मंदिर के लिए एक बड़ा पड़ाव पूरा हो गया है। तमिलनाडु के महाबलीपुरम में बीते दस साल से तैयार हो रहा विशाल शिवलिंग अब बिहार की ओर रवाना हो चुका है। एक ही ग्रेनाइट चट्टान से तराशा गया यह शिवलिंग अपनी ऊंचाई और वजन की वजह से देश भर में चर्चा का विषय बना हुआ है।
करीब तैंतीस फीट ऊंचे और इतने ही चौड़े इस महाशिवलिंग का वजन दो सौ दस मीट्रिक टन बताया जा रहा है। तीन करोड़ रुपये की लागत से तैयार इस संरचना को विशेष तौर पर बनाए गए छियानवे चक्कों वाले ट्रांसपोर्टर पर लादकर भेजा गया है। इतना भारी ढांचा सड़क मार्ग से ले जाना अपने आप में बेहद चुनौतीपूर्ण इंजीनियरिंग है।
रवाना करने से पहले पट्टीकाडु गांव में वैदिक विधि से पूजा की गई , जिसके बाद स्थानीय लोगों ने भावनाओं के साथ शिवलिंग को विदाई दी। अब यह शिवलिंग बीस से पच्चीस दिनों की लंबी यात्रा पर है और रास्ते में कई शहरों से होते हुए बिहार पहुंचेगा। महाबलीपुरम से शुरू होकर यह सफर होसुर , हैदराबाद , नागपुर , जबलपुर , रीवा और मिर्जापुर समेत कई शहरों को पार करेगा , जहां लोग इसके दर्शन भी कर सकेंगे।
चकिया में बन रहा विराट रामायण मंदिर अपने आकार और भव्यता को लेकर पहले ही सुर्खियों में है। एक सौ पंद्रह एकड़ में फैले इस मंदिर परिसर का मुख्य ढांचा बेहद विशाल है। मंदिर की लंबाई दस सौ अस्सी फीट , चौड़ाई पांच सौ चालीस फीट और मुख्य शिखर की ऊंचाई दो सौ सत्तर फीट तय की गई है। कुल मिलाकर अठारह शिखर और बाईस मंदिरों वाला यह प्रांगण देश के सबसे भव्य धार्मिक स्थलों में शामिल होने जा रहा है। प्रवेश द्वार , सिंह द्वार , गणेश स्थल , नंदी और गर्भगृह की पाइलिंग जैसे अहम काम पूरे हो चुके हैं और निर्माण कार्य महावीर मंदिर ट्रस्ट द्वारा कराया जा रहा है।
निर्माण कंपनी के संस्थापक विनायक वेंकटरमण का कहना है कि फरवरी 2026 तक इस भव्य शिवलिंग को मंदिर परिसर में स्थापित कर दिया जाएगा। स्थापना के बाद मंदिर न सिर्फ वास्तु के हिसाब से और सुंदर दिखाई देगा बल्कि धार्मिक रूप से भी इसकी भव्यता कई गुना बढ़ जाएगी।
