दिल्ली में इस साल के इंडिया इंटरनेशनल ट्रेड फेयर में इलेक्ट्रॉनिक कचरे का मुद्दा सबसे ज्यादा चर्चा में रहा । देश में बिजली से चलने वाले उपकरणों की खपत इतनी तेज रफ्तार से बढ़ रही है कि भारत अब दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा ई वेस्ट पैदा करने वाला देश बन चुका है । आंकड़ों के मुताबिक देश में हर साल हजारों टन इलेक्ट्रॉनिक कचरा निकल रहा है , लेकिन इसका बेहद छोटा हिस्सा ही सही तरीके से रीसायकल हो पा रहा है । इसी चुनौती को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार के खान मंत्रालय ने मेले में एक बड़ा जागरूकता अभियान शुरू किया है ताकि लोग इस खतरे को समझ सकें और जिम्मेदारी के साथ निपटान की आदत विकसित कर सकें ।
खान मंत्रालय ने नागपुर में स्थित जवाहर लाल नेहरू एल्युमिनियम रिसर्च डेवलपमेंट एंड डिजाइन सेंटर को इस काम का नोडल केंद्र बनाया है । संस्था की टीम ने मेले में एक ऐसा अभियान पेश किया , जिसका मकसद लोगों को समझाना है कि गलत तरीके से फेंका गया ई वेस्ट कैसे जमीन को जहरीला करता है , पानी को खराब करता है और हवा में भी नुकसान पहुंचाता है । टीम के सदस्यों का कहना है कि यह सिर्फ पर्यावरण का मामला नहीं , बल्कि इंसानों की सेहत के लिए भी बड़ा खतरा बन चुका है ।
जानकारों का कहना है कि अगर इसी कचरे को अधिकृत रिसाइक्लर तक पहुंचाया जाए तो इससे कीमती धातुएं निकल सकती हैं । इनमें तांबा , सोना , एल्युमिनियम जैसी चीजें शामिल हैं जो इलेक्ट्रॉनिक सामान से लेकर ऊर्जा और रक्षा क्षेत्र तक बहुत जरूरी मानी जाती हैं । इसलिए कबाड़ी के पास देने के बजाय इसे उन्हीं संस्थाओं तक पहुंचाना सही तरीका है जिन्हें इसके रीसाइक्लिंग की मंजूरी मिली है ।
मेले में इस बार ई वेस्ट कलेक्शन का लाइव मॉडल भी दिखाया गया । यहां लोगों को बताया जा रहा है कि गलत ढंग से हैंडल किया गया इलेक्ट्रॉनिक कचरा कैसे पूरे पर्यावरण चक्र को बिगाड़ देता है और किस तरह सही तरीके से प्रक्रिया में आने पर यह नुकसान के बजाय संसाधन बन सकता है । टीम लोगों को यह भी सिखा रही है कि घर में जमा पुराने गैजेट्स को कैसे जिम्मेदारी से निपटाया जा सकता है ।
इस अभियान के लिए संस्था ने अटेलो रिसाइक्लेज को पार्टनर बनाया है । यह कंपनी कई बड़े शहरों में घर घर जाकर इलेक्ट्रॉनिक कचरा उठाती है और उसे सीधे अधिकृत रिसाइक्लर तक भेजती है । लोग इसके जरिए अपने पुराने इलेक्ट्रॉनिक सामान की कीमत भी पा सकते हैं और सुरक्षित निपटान में सहयोग भी कर सकते हैं ।
कुछ समय पहले मंत्रालय ने देश भर में एक कलेक्शन ड्राइव भी चलाई थी । सरकारी दफ्तरों और कई कंपनियों में अलग से संग्रह केंद्र बनाए गए थे जहां बड़ी मात्रा में लोग अपना ई वेस्ट जमा कर रहे हैं । यह पूरा कचरा अब आधिकारिक चैनल के जरिए रीसायकल सिस्टम में भेजा जा रहा है ।
वैश्विक रिपोर्टें दिखाती हैं कि दुनिया में कई देश भारी मात्रा में ई वेस्ट पैदा करते हैं और बहुत बड़ी मात्रा ऐसे ही फेंक दी जाती है । कई गरीब देशों में यह कचरा अनौपचारिक क्षेत्र के लोगों द्वारा संभाला जाता है जिससे पर्यावरण और सेहत दोनों के लिए बड़ा खतरा पैदा होता है । अनुमान है कि दुनिया भर में लाखों टन इलेक्ट्रॉनिक कचरा लैंडफिल में दबा दिया जाता है , जिससे भविष्य में गंभीर समस्याएं खड़ी हो सकती हैं ।
