दिल्ली की एक अदालत ने अल फलाह यूनिवर्सिटी चलाने वाले जवाद अहमद सिद्दीकी को 13 दिन के लिए ईडी की कस्टडी में भेज दिया है। एजेंसी का कहना है कि जवाद ने पढ़ाई के नाम पर छात्रों और उनके घरवालों को गुमराह किया , उनसे करीब 415 करोड़ रुपये इकट्ठा किए , और ऐसे संकेत मिले हैं कि वो कभी भी गल्फ देशों में भाग सकते हैं क्योंकि वहां उनका परिवार रहता है।
जवाद की तरफ से पेश हुए वकील ने अदालत में कहा कि उन पर लगाए जा रहे आरोप सच नहीं हैं। इससे पहले ईडी ने पूरे दिन अल फलाह समूह के कई ठिकानों पर छापे मारे और उसके बाद देर रात जवाद को हिरासत में लिया। यूनिवर्सिटी तब शक के घेरे में आई जब लाल किले के पास हुए आत्मघाती हमले की जांच में सामने आया कि इस वारदात से जुड़े कुछ लोग अल फलाह यूनिवर्सिटी से जुड़े हुए थे।
जवाद को अदालत में एडिशनल सेशंस जज शीतल चौधरी प्रधान के सामने पेश किया गया , जहां ईडी ने 14 दिन की रिमांड मांगते हुए कहा कि आरोपी के पास पैसे और रसूख की कमी नहीं है , ऊपर से उसका परिवार विदेश में है , इसलिए उसके भागने की आशंका ज्यादा है। अदालत ने पूरी दलील सुनकर जवाद को 1 दिसंबर तक ईडी की हिरासत में देने का आदेश दे दिया।
ईडी की ओर से दायर रिमांड में बताया गया कि जवाद और उनके ट्रस्ट ने छात्रों को यह कहकर भरोसा दिलाया कि यूनिवर्सिटी को NAAC और UGC की मान्यता मिली है , जबकि ये दोनों दावे फर्जी निकले। इसी झांसे में रखकर करीब 415 करोड़ रुपये फीस और दूसरी मदों में ले लिए गए। अदालत ने यह भी कहा कि आरोपी पहले भी ऐसे गंभीर आर्थिक मामलों में घिर चुका है और अगर उसे खुला छोड़ा गया तो या तो वो फरार होगा या सबूत गायब कर देगा।
ईडी ने दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच की दो एफआईआर को आधार बनाकर यह कार्रवाई शुरू की , जिनमें आरोप था कि यूनिवर्सिटी ने मान्यता की स्थिति गलत दिखाकर छात्रों को दाखिले के लिए फंसाया। ईडी का कहना है कि अल फलाह यूनिवर्सिटी ने जिन दस्तावेजों से अपनी मान्यता साबित की , वो जाली थे और इसी बहाने छात्रों का दाखिला चलता रहा , जिससे ट्रस्ट ने 400 करोड़ से ज्यादा की रकम इकट्ठी की और इसे जवाद के निजी इस्तेमाल में लगाया।
