डॉक्टर और नर्स को अक्सर जिंदगी देने वाला कहा जाता है लेकिन जर्मनी में एक नर्स ने ऐसा काम कर दिया जिसने इस पेशे की गरिमा को कलंकित कर दिया। पश्चिमी जर्मनी के वुरसेलेन शहर के एक अस्पताल में काम करने वाले इस नर्स को अदालत ने दस मरीजों की जान लेने और सत्ताईस को मारने की कोशिश के मामले में उम्रकैद की सजा दी है। अदालत ने सजा सुनाते वक्त साफ कहा कि आरोपी ने यह अपराध बेहद बेरहमी और स्वार्थ से किया है इसलिए उसे पंद्रह साल बाद मिलने वाली पैरोल की राहत नहीं दी जाएगी।
यह नर्स अस्पताल में रात की ड्यूटी करता था और सिर्फ इसलिए लोगों को मौत के घाट उतार देता था ताकि उसे कम काम करना पड़े। दिसंबर 2023 से मई 2024 के बीच इसने बुजुर्ग और गंभीर रूप से बीमार मरीजों को मॉर्फीन और मिडाजोलम जैसी दवाओं का ओवरडोज देकर उनकी जान ले ली। कोर्ट में बताया गया कि आरोपी 44 साल का है और उसकी पहचान सुरक्षा कारणों से उजागर नहीं की गई।
वह 2020 से इस अस्पताल में तैनात था और 2007 में नर्सिंग ट्रेनिंग पूरी की थी। जब अस्पताल में उसके शिफ्ट के दौरान लगातार मरीजों की हालत अचानक बिगड़ने लगी तो डॉक्टरों और स्टाफ को शक हुआ और जांच के बाद मई 2024 में उसे गिरफ्तार किया गया। अब जांच एजेंसियां कई शवों को दोबारा बाहर निकालकर पोस्ट एग्जामिनेशन कर रही हैं ताकि यह पता लगाया जा सके कि कहीं और मरीज भी तो उसकी हैवानियत का शिकार नहीं बने।
इससे पहले भी जर्मनी में ऐसा ही एक मामला सामने आया था जब 2019 में निल्स होगेल नाम के नर्स को दो अस्पतालों में 85 मरीजों की हत्या के लिए उम्रकैद हुई थी। उसने 1999 से 2005 के बीच मरीजों को दिल की दवा की जानलेवा खुराक देकर मार डाला था। दोनों मामलों ने मिलकर जर्मनी की स्वास्थ्य सेवाओं को हिला कर रख दिया है और एक बार फिर यह सवाल उठाया है कि जिन पर जान बचाने की जिम्मेदारी होती है वही अगर मौत का कारण बन जाएं तो भरोसा आखिर कहां बचता है।
