आज के वक्त में मोबाइल फोन हमारी रोज की ज़िंदगी का अहम हिस्सा बन चुका है। सुबह आंख खुलने से लेकर रात को सोने तक हमारा हर काम इस पर निर्भर करता है। लेकिन अगर आप अपने फोन को किसी नकली या सस्ते चार्जर से चार्ज कर रहे हैं तो ये आदत आपके मोबाइल के लिए खतरा बन सकती है। ऐसा करना धीरे-धीरे आपके फोन की बैटरी को खत्म करता है और कई बार बड़ा हादसा भी करा देता है।
नकली चार्जर से फोन चार्ज करने पर न सिर्फ बैटरी की हेल्थ पर असर पड़ता है बल्कि ये चार्जर अक्सर ओवरहीटिंग, शॉर्ट सर्किट और आग जैसी घटनाओं की वजह भी बन जाते हैं। इन्हीं खतरों को देखते हुए अब भारत सरकार ने एक नया तरीका निकाला है जिससे कोई भी व्यक्ति अपने चार्जर की असलियत कुछ ही सेकंड में पता कर सकता है। इसके लिए सरकार ने BIS केयर नाम का मोबाइल ऐप जारी किया है।
भारत में बिकने वाले हर असली चार्जर पर एक यूनिक नंबर दिया जाता है जिसे आर नंबर कहा जाता है। ये नंबर चार्जर की पहचान और उसकी असलियत बताने का काम करता है। जैसे अगर किसी चार्जर पर आर-12345678 लिखा है तो उसके जरिए आप ऐप पर जांच कर सकते हैं कि चार्जर असली है या नकली। इस नंबर से आपको निर्माता का नाम, मॉडल नंबर, किस देश में बना है और वह चार्जर बीआईएस से प्रमाणित है या नहीं, सब जानकारी मिल जाती है।
चार्जर की जांच करने का तरीका भी बेहद आसान है। अपने मोबाइल में BIS केयर ऐप डाउनलोड करें। ऐप खोलने के बाद ‘Verify R-number’ वाला विकल्प चुनें। चार्जर पर लिखा आर नंबर डालें और वेरिफाई बटन दबाएं। कुछ ही पल में स्क्रीन पर रिपोर्ट आ जाएगी कि आपका चार्जर वैध है या नहीं। अगर कोड सही निकला तो समझ लीजिए चार्जर सुरक्षित है। लेकिन अगर ऐप अमान्य दिखाए तो उसका इस्तेमाल तुरंत बंद कर दें।
दरअसल नकली चार्जर में घटिया वायरिंग और बिना जांचे सर्किट लगाए जाते हैं। इससे बैटरी की उम्र कम होती है और चार्जिंग के दौरान फोन गर्म होने लगता है। कई बार ऐसे चार्जर फट जाते हैं या बिजली का झटका भी दे सकते हैं।
भारत सरकार का यह ऐप लोगों को ऐसे खतरों से बचाने के लिए बनाया गया है ताकि कोई भी नागरिक बिना किसी तकनीकी जानकारी के अपने इलेक्ट्रॉनिक उत्पाद की सच्चाई जान सके। यह ऐप न सिर्फ मोबाइल चार्जर बल्कि टीवी, फ्रिज, पंखा, एसी जैसे कई दूसरे उपकरणों की जांच के लिए भी काम करता है।
अगर आप अपने फोन को लंबे वक्त तक सुरक्षित रखना चाहते हैं तो चार्जर खरीदते समय BIS मार्क और आर नंबर जरूर जांचें। एक बार ऐप से जांच कर लेना आपकी डिवाइस, आपकी जेब और आपकी जान—तीनों के लिए सुरक्षित कदम साबित हो सकता है।
