हल्द्वानी में आज उत्तराखंड राज्य की रजत जयंती के मौके पर सैनिक कल्याण विभाग की ओर से भव्य पूर्व सैनिक सम्मेलन आयोजित हुआ। इस कार्यक्रम में करीब दो से तीन हजार पूर्व सैनिक और उनके परिवार के सदस्य शामिल हुए। राज्य स्थापना के 25 साल पूरे होने पर पूरे प्रदेश में सरकार कई तरह के आयोजन कर रही है और उसी कड़ी में यह कार्यक्रम भी हुआ।
कार्यक्रम में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी मुख्य अतिथि के रूप में पहुंचे। मंच पर पहुंचते ही उन्होंने पूर्व सैनिकों और वीरांगनाओं पर पुष्प वर्षा कर उनका सम्मान किया। सीएम धामी ने कहा कि यह उनके लिए गर्व का पल है कि वह उन लोगों के बीच मौजूद हैं जिन्होंने देश के लिए अपना सब कुछ न्यौछावर किया। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड की पहचान ही सैनिकों से है। वह खुद सैनिक परिवार से हैं और बचपन से ही सैनिकों को देखकर बड़े हुए हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि चाहे कश्मीर की घाटियां हों या बर्फीले पहाड़ों की चोटियां। हमारे सैनिकों ने हमेशा तिरंगे की शान बनाए रखने के लिए अपना खून बहाया है। उन्होंने कहा कि देवभूमि न सिर्फ आध्यात्मिकता की भूमि है बल्कि यह शौर्य और बलिदान की भी धरती है। यहां लगभग हर घर से एक बेटा सीमा पर देश की रक्षा के लिए तैनात है।
सीएम धामी ने कहा कि किसी सैनिक की शहादत का कोई मोल नहीं लगाया जा सकता लेकिन सरकार उनके परिवारों के साथ खड़ी है। राज्य सरकार ने शहीद के परिवार को दी जाने वाली सहायता राशि दस लाख से बढ़ाकर पचास लाख कर दी है। इसके अलावा अब भूतपूर्व सैनिकों के अंतिम संस्कार के लिए दस हजार रुपए की आर्थिक सहायता भी दी जाएगी।
उन्होंने बताया कि वीरता पुरस्कार पाने वाले सैनिकों की सम्मान राशि में भी बढ़ोतरी की गई है। युद्ध में घायल और युद्ध विधवाओं को अब दो लाख रुपए आवासीय सहायता दी जाएगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड देश का एकमात्र ऐसा राज्य है जो सैनिकों को संपत्ति खरीद पर पच्चीस लाख की सीमा तक स्टांप ड्यूटी में पच्चीस प्रतिशत की छूट दे रहा है।
उन्होंने कहा कि शहीद परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने का फैसला भी किया गया है। शहीदों की याद में सैन्य धाम का निर्माण भी तेज़ी से चल रहा है ताकि उनकी वीरता हमेशा याद रहे। इस दौरान मुख्यमंत्री ने विपक्ष पर भी निशाना साधा और कहा कि कुछ लोग सिर्फ राजनीति करते हैं जबकि सरकार वास्तविक काम करती है।
