देहरादून। उत्तराखंड विधानसभा में राज्य के 25 साल पूरे होने पर हो रही चर्चा के दौरान स्थाई राजधानी को लेकर बहस तेज हो गई है। गैरसैंण एक बार फिर सबसे बड़ा मुद्दा बनकर उभरा है। इस विषय पर सभी नेताओं की राय अलग अलग दिखाई दी है। पहाड़ी राज्य की राजधानी पहाड़ में होनी चाहिए यह बात आम लोगों के बीच लंबे समय से चलती आ रही है लेकिन इस पर सियासी मतभेद अभी भी खत्म नहीं हुए हैं।
कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक तिलक राज बेहड़ ने इस दौरान साफ कहा कि अब गैरसैंण को स्थाई राजधानी बनाना संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि गैरसैंण को पहले ही ग्रीष्मकालीन राजधानी का दर्जा दिया जा चुका है इसलिए इसे स्थाई राजधानी नहीं बनाया जा सकता। बेहड़ ने यह भी कहा कि देहरादून ही राजधानी के रूप में सबसे उपयुक्त जगह है। उनका यह बयान ऐसे समय में आया है जब कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत पहले ही यह कह चुके हैं कि अगर दो हजार सत्ताईस में कांग्रेस की सरकार बनती है तो गैरसैंण को स्थाई राजधानी घोषित किया जाएगा। अब कांग्रेस के अंदर से आ रही इस विपरीत राय ने पार्टी के भीतर नए सवाल खड़े कर दिए हैं।
इस मामले पर नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने कहा कि किसी एक नेता की राय पार्टी की आधिकारिक स्थिति नहीं होती। उन्होंने कहा कि ऐसे मसलों पर फैसला पार्टी की सामूहिक सोच से होता है। उन्होंने यह भी कहा कि गैरसैंण में आधारभूत विकास के लिए कांग्रेस सरकारों ने हमेशा अहम भूमिका निभाई है।
वहीं भाजपा विधायक विनोद चमोली ने कांग्रेस पर तंज कसा। उन्होंने कहा कि तिलक राज बेहड़ का बयान यह दिखाता है कि हरीश रावत और उनकी पार्टी के बीच तालमेल नहीं है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस जब दस साल तक सत्ता में रही तब राजधानी का फैसला क्यों नहीं लिया गया। अब चुनाव के समय गैरसैंण का नाम लेकर जनता को गुमराह किया जा रहा है।
राजधानी के मुद्दे पर एक बार फिर सियासत गरमा गई है। कोई गैरसैंण को आगे बढ़ाने की बात कर रहा है तो कोई देहरादून को स्थाई राजधानी बनाए रखने के पक्ष में है। लेकिन अभी तक यह साफ नहीं हो पाया है कि उत्तराखंड की स्थाई राजधानी आखिर कहां बनेगी।
