चीन ने रचा इतिहास, तियानगोंग स्टेशन पर सबसे तेज़ पहुंचा अंतरिक्ष यान; चार चूहे भी बने मिशन का हिस्सा

चीन ने एक बार फिर अपने अंतरिक्ष कार्यक्रम से दुनिया को चौंका दिया है। शनिवार को चीन के शेनझोउ-21 अंतरिक्ष यान ने तीन सदस्यीय दल…

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चीन ने एक बार फिर अपने अंतरिक्ष कार्यक्रम से दुनिया को चौंका दिया है। शनिवार को चीन के शेनझोउ-21 अंतरिक्ष यान ने तीन सदस्यीय दल के साथ देश के तियानगोंग अंतरिक्ष स्टेशन से सिर्फ साढ़े तीन घंटे में जुड़कर नया रिकॉर्ड बना दिया। चीन की मानव अंतरिक्ष एजेंसी के मुताबिक यह डॉकिंग प्रक्रिया अब तक की सबसे तेज रही है। इससे पहले के मिशनों में यही प्रक्रिया करीब छह घंटे में पूरी होती थी।

शेनझोउ-21 को शुक्रवार देर रात चीन के उत्तर पश्चिमी इलाके जिउक्वान प्रक्षेपण केंद्र से रवाना किया गया था। उड़ान भरने के बाद यान सीधे तियानहे कोर मॉड्यूल की ओर बढ़ा और सफलतापूर्वक उससे जुड़ गया।

मिशन की कमान झांग लू के पास है जो दो साल पहले शेनझोउ-15 अभियान का भी हिस्सा रह चुके हैं। उनके साथ इंजीनियर वू फेई हैं जो अब तक के सबसे युवा चीनी अंतरिक्ष यात्री बने हैं। तीसरे सदस्य झांग होंगझांग हैं जो पहले नई ऊर्जा और सामग्री विज्ञान के शोध से जुड़े रहे हैं।

यह दल करीब छह महीने तक अंतरिक्ष स्टेशन पर रहेगा और इस दौरान 27 वैज्ञानिक प्रयोग करेगा। इनमें जैव प्रौद्योगिकी, एयरोस्पेस मेडिसिन और मटेरियल साइंस शामिल हैं। खास बात यह है कि चीन पहली बार अंतरिक्ष में चार चूहे भी भेज रहा है ताकि शून्य गुरुत्वाकर्षण में उनके व्यवहार और प्रजनन की क्षमता का अध्ययन किया जा सके।

चीन की विज्ञान अकादमी के अनुसार यह प्रयोग भविष्य में मानव प्रजनन और दीर्घकालिक अंतरिक्ष जीवन के अध्ययन के लिए महत्वपूर्ण साबित होगा। इन चूहों को 300 में से चुना गया और दो महीने के प्रशिक्षण के बाद अंतरिक्ष में भेजा गया। वे पांच से सात दिन अंतरिक्ष स्टेशन पर रहेंगे और शेनझोउ-20 के जरिए वापस लाए जाएंगे।

चीन का यह मिशन उसके बढ़ते अंतरिक्ष साम्राज्य की नई कड़ी है। 2003 में पहली मानवयुक्त उड़ान से शुरुआत करने वाला चीन अब अमेरिका और रूस के बाद तीसरा ऐसा देश है जो लगातार अपने अंतरिक्ष कार्यक्रमों से नए मापदंड तय कर रहा है। चीन ने 2030 तक अपने अंतरिक्ष यात्री को चंद्रमा पर उतारने का लक्ष्य तय किया है।

इसके साथ ही चीन पाकिस्तान के साथ भी सहयोग बढ़ा रहा है। समझौते के तहत चीन दो पाकिस्तानी अंतरिक्ष यात्रियों को प्रशिक्षण दे रहा है जिनमें से एक को जल्द तियानगोंग स्टेशन भेजा जाएगा। यह किसी विदेशी अंतरिक्ष यात्री की पहली यात्रा होगी जो चीन के स्टेशन पर होगी।

तियानगोंग यानी ‘स्वर्गीय महल’ पूरी तरह चीनी तकनीक से तैयार किया गया है। अमेरिका द्वारा अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन से बाहर रखे जाने के बाद चीन ने अपनी राह खुद बनाई और अब वह अंतरिक्ष अनुसंधान में एक बड़ी ताकत बन चुका है। शेनझोउ-21 मिशन चीन की उसी आत्मनिर्भरता और अंतरिक्ष विज्ञान में उसके आत्मविश्वास का मजबूत सबूत है।