उत्तर प्रदेश के प्राथमिक स्कूलों में बीएड के आधार पर चयनित शिक्षकों के छह महीने के ब्रिज कोर्स की अनिवार्यता को लेकर सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद जहां प्रदेश के 30 हजार से अधिक शिक्षकों की नौकरी पर खतरा मंडरा रहा है। वही बेसिक शिक्षा विभाग के अफसर इस मामले में बेपरवाह बने हुए हैं।
उत्तर प्रदेश सरकार ने उच्चतम न्यायालय में एक हलफनामा दायर किया है जिसमें शिक्षकों के प्रशिक्षण के लिए एक से 15 नवंबर तक ऑनलाइन आवेदन भी किए गए थे और 1 दिसंबर से इसका प्रशिक्षण शुरू होना था लेकिन एक दिन पहले शुक्रवार तक कोई गाइडलाइन जारी न होने की वजह से शिक्षकों में काफी बेचैनी देखी जा रही है।
69000 सहायक अध्यापक भर्ती में बीएड के आधार पर चयनित 30 हजार से अधिक शिक्षकों को प्रशिक्षण के लिए आवेदन की गाइडलाइन का इंतजार है लेकिन एक दिन पहले शुक्रवार तक कोई आदेश जारी नहीं हुआ।
बेसिक शिक्षा निदेशक प्रताप सिंह बघेल की ओर से 15 अक्तूबर को एनआईओएस से प्रशिक्षण दिलवाने के लिए विशेष सचिव बेसिक शिक्षा को प्रस्ताव भी भेजा गया था लेकिन मामला शासन स्तर पर लंबित है।
इस मामले में हो रही देरी से संबंधित शिक्षक काफी परेशान है। भविष्य को लेकर भी चिंता में है। सुप्रीम कोर्ट ने 11 अगस्त 2023 से पहले नियुक्त बीएड अर्हताधारी शिक्षकों को अनिवार्य रूप से ब्रिज कोर्स करने के आदेश दिए थे शिक्षकों को ब्रिज कोर्स शुरू होने की तारीख से 1 साल के अंदर एक बार में ही कोर्स पूरा करना था।
कोर्स न करने पर शिक्षक की नियुक्ति अमान्य हो जाएगी। एनआईओएस की ओर से जारी प्राथमिक शिक्षा में छह महीने का प्रमाणपत्र पाठ्यक्रम (ब्रिज कोर्स) को राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) ने दो जुलाई 2025 को मान्यता दी थी।
