देश के अगले मुख्य न्यायाधीश बनेंगे जस्टिस सूर्यकांत,हरियाणा से सुप्रीम कोर्ट तक का सफर रहा प्रेरणादायक

हैदराबाद से बड़ी खबर सामने आई है जहां सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ जज सूर्यकांत अगले महीने देश के पचपनवें मुख्य न्यायाधीश बनने जा रहे हैं।…

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सूर्यकांत का सफर हरियाणा के एक छोटे से गांव से शुरू हुआ था। उनका जन्म दस फरवरी उन्नीस सौ बासठ को हिसार जिले में हुआ। वे मध्यमवर्गीय परिवार से आते हैं। शुरुआती पढ़ाई हिसार के राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय से पूरी की और उन्नीस सौ चौरासी में महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय रोहतक से एलएलबी की डिग्री हासिल की। इसी साल उन्होंने हिसार जिला अदालत में वकालत शुरू की और उन्नीस सौ पचासी में कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से एलएलएम की डिग्री भी ली जिसमें उन्हें प्रथम स्थान मिला।

जुलाई दो हजार में सूर्यकांत को हरियाणा का सबसे युवा महाधिवक्ता बनने का मौका मिला। अगले ही साल उन्हें वरिष्ठ अधिवक्ता का दर्जा मिला। जनवरी दो हजार चार को वे पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के स्थायी जज बने। इसके बाद पांच अक्टूबर दो हजार अठारह को उन्हें हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया।

उन्होंने अपने करियर में कई अहम भूमिकाएं निभाईं। फरवरी दो हजार सात में उन्हें राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण यानी NALSA के संचालन निकाय का सदस्य बनाया गया। वे दो कार्यकाल तक इस पद पर रहे। साथ ही भारतीय विधि संस्थान की कई समितियों में भी योगदान दिया जो सुप्रीम कोर्ट के तहत काम करती हैं।

सूर्यकांत को चौबीस मई दो हजार उन्नीस को सुप्रीम कोर्ट का न्यायाधीश बनाया गया। यहां उन्होंने कई ऐतिहासिक मामलों की सुनवाई में हिस्सा लिया। वे उन संविधान पीठों में शामिल रहे जिन्होंने अनुच्छेद तीन सौ सत्तर के निरस्तीकरण, नागरिकता कानून की धारा छह ए और अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के अल्पसंख्यक दर्जे से जुड़े फैसले दिए। वे उस पीठ में भी थे जिसने दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को शराब नीति मामले में जमानत दी थी और गिरफ्तारी को प्रक्रिया के अनुसार बताया था।

वे उस पांच सदस्यीय पीठ का भी हिस्सा हैं जो राज्यपालों और राष्ट्रपति की शक्तियों पर चल रही सुनवाई देख रही है। उन्होंने बिहार में छूटे मतदाताओं की सूची सार्वजनिक करने का आदेश चुनाव आयोग को दिया था और बार एसोसिएशनों में महिलाओं के लिए एक तिहाई आरक्षण लागू करने का निर्देश दिया था। उन्होंने किसानों द्वारा अंबाला के पास की जा रही नाकेबंदी पर भी सुनवाई की थी।

उनकी पीठ ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पंजाब यात्रा के दौरान हुई सुरक्षा चूक की जांच के लिए पूर्व जज इंदु मल्होत्रा की अध्यक्षता में समिति बनाई थी। उन्होंने वन रैंक वन पेंशन योजना को भी संवैधानिक रूप से सही ठहराया था। वे पेगासस स्पाइवेयर मामले की सुनवाई करने वाली पीठ में भी शामिल रहे जिसने गैरकानूनी जासूसी की जांच के लिए साइबर विशेषज्ञों की टीम गठित की थी। उस दौरान उन्होंने कहा था कि राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर राज्य को खुली छूट नहीं दी जा सकती।

सूर्यकांत को एक संतुलित और विचारशील जज माना जाता है जो हमेशा कानून और मानवता के बीच सही संतुलन बनाए रखते हैं। उन्होंने अपने फैसलों से यह साबित किया है कि न्याय सिर्फ कागज पर नहीं बल्कि जनता की उम्मीदों पर खरा उतरना चाहिए। फरवरी दो हजार सत्ताईस तक वे देश के मुख्य न्यायाधीश के रूप में सुप्रीम कोर्ट का नेतृत्व करेंगे।