ग्वालियर जिले के माधव बाल निकेतन एवं वृद्ध आश्रम में रह रहे 88 वर्षीय बुजुर्ग कुंवर राजबिज्जन का सुबह निधन हो गया। वह पिछले 5 वर्षों से अपने जीवनसाथी के साथ आश्रम में कमरा नंबर दो में रह रहे थे क्योंकि परिजनों ने उन्हें अपने से इनकार कर दिया था।
कुंवर राज बिज्जन ने अपने जीवन काल में यह फैसला ले लिया था की मृत्यु के बाद उनके शरीर को उनके परिवार को ना दिया जाए बल्कि चिकित्सा शिक्षा के लिए मेडिकल कॉलेज को दान किया जाए। यही वजह है कि उनके निधन के बाद पुलिस ने उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर दिया और आश्रम परिसर में जिला प्रशासन की मौजूदगी में अंतिम दर्शन कराए गए।
इस दौरान उनका बेटा राजू बिज्जन भी वहां आया लेकिन आश्रय गृह प्रबंधन में मृतक की अंतिम इच्छा को बताते हुए शरीर उसे देने से मना कर दिया। राजू ने कहा कि पारिवारिक मतभेदों की वजह से दूरी बन गई थी लेकिन उसे पिता के देहदान के निर्णय के बारे में कोई जानकारी नहीं थी।
सभी कानूनी प्रक्रिया पूरी करने के बाद गजराराजा मेडिकल कॉलेज को देह सौंप दी गई, जहां इसे मेडिकल रिसर्च और विद्यार्थियों की पढ़ाई के लिए उपयोग किया जाएगा। यह घटना न सिर्फ देहदान के प्रति प्रेरणा देती है, बल्कि यह संदेश भी छोड़ जाती है कि सम्मान और अपनापन जीवनभर कितना जरूरी होता है।
