विज्ञापन की दुनिया के दिग्गज पीयूष पांडे नहीं रहे, रचनात्मकता का एक युग हुआ समाप्त

भारत की विज्ञापन दुनिया के सबसे चर्चित और रचनात्मक चेहरों में से एक पीयूष पांडे का निधन हो गया है। 70 वर्ष की उम्र में…

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भारत की विज्ञापन दुनिया के सबसे चर्चित और रचनात्मक चेहरों में से एक पीयूष पांडे का निधन हो गया है। 70 वर्ष की उम्र में उन्होंने अंतिम सांस ली। पीयूष पांडे को भारतीय विज्ञापन जगत में वह नाम माना जाता है जिसने शब्दों और विचारों से विज्ञापनों को नया अर्थ दिया। उनकी सोच ने न सिर्फ ब्रांड्स को नई पहचान दी, बल्कि आम लोगों के दिलों में भी जगह बनाई।

उन्होंने कई ऐसे विज्ञापन तैयार किए जो भारतीय भावनाओं और संस्कृति से गहराई से जुड़े रहे। एशियन पेंट्स का मशहूर स्लोगन ‘हर खुशी में रंग लाए’, कैडबरी का यादगार ऐड ‘कुछ खास है’, और फेविकोल जैसे ब्रांड्स के प्रतीकात्मक कैंपेन उनकी ही देन थे। वहीं भारत की एकता और विविधता को दर्शाने वाला प्रतिष्ठित गीत ‘मिले सुर मेरा तुम्हारा’ भी उनकी रचनात्मक सोच का परिणाम था, जिसने दूरदर्शन के दिनों में देशभर के लोगों के दिलों को जोड़ा।

पीयूष पांडे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रचार अभियान ‘अबकी बार, मोदी सरकार’ का नारा तैयार किया था, जो चुनावी इतिहास में बेहद प्रसिद्ध हुआ। उन्होंने लगभग चार दशकों तक ओगिल्वी इंडिया के साथ काम किया और इस कंपनी को भारत की विज्ञापन इंडस्ट्री का सबसे प्रतिष्ठित नाम बनाने में अहम भूमिका निभाई। उनकी पहचान केवल रचनात्मकता तक सीमित नहीं रही, बल्कि उनकी मूंछें, उनका सादगी भरा स्वभाव और हंसमुख चेहरा भी लोगों को हमेशा याद रहेगा।

विज्ञापन की दुनिया में कदम रखने से पहले उन्होंने क्रिकेट खेला और चाय बागान से लेकर निर्माण क्षेत्र तक में काम किया था। 27 वर्ष की उम्र में उन्होंने विज्ञापन की दुनिया में प्रवेश किया और अंग्रेज़ी के वर्चस्व वाले इस क्षेत्र को भारतीय भाषा और भावनाओं से जोड़कर उसका चेहरा ही बदल दिया।

पीयूष पांडे का जाना विज्ञापन जगत के लिए अपूरणीय क्षति है। उन्होंने अपने काम से यह साबित किया कि विज्ञापन सिर्फ उत्पाद बेचने का माध्यम नहीं, बल्कि समाज से जुड़ने और भावनाओं को अभिव्यक्त करने की कला भी है।