पिथौरागढ़ में स्कूलों को भेजा गया एक्सपायरी दूध, मचा हड़कंप, विभाग ने पूरी खेप लौटाने के दिए आदेश

पिथौरागढ़। सीमांत जिले पिथौरागढ़ में सरकारी स्कूलों के बच्चों के लिए भेजे गए दूध में बड़ा घोटाला सामने आया है। चार दिन पहले सामने आई…

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पिथौरागढ़। सीमांत जिले पिथौरागढ़ में सरकारी स्कूलों के बच्चों के लिए भेजे गए दूध में बड़ा घोटाला सामने आया है। चार दिन पहले सामने आई जानकारी के मुताबिक स्कूलों में एक्सपायरी दूध भेजा गया था। इस मामले के उजागर होते ही अभिभावकों और सामाजिक संगठनों में भारी नाराजगी फैल गई। बढ़ते विरोध के बीच शिक्षा विभाग अब हरकत में आ गया है और पूरे मामले की जांच शुरू कर दी गई है।

शिक्षा विभाग ने स्पष्ट किया है कि पीएम पोषण योजना के तहत जो दूध भेजा गया था, उसमें एक्सपायरी पैकेट पाए जाने के बाद अब दूध की पूरी खेप वापस मंगाई जा रही है। विभाग ने प्रत्येक विकासखंड से एक-एक पैकेट का सैंपल लेकर उन्हें जांच के लिए खाद्य सुरक्षा विभाग की लैब में भेजने के निर्देश दिए हैं।

जानकारी के मुताबिक, जिले में कक्षा एक से आठवीं तक के करीब 12 हजार विद्यार्थियों के लिए भेजे गए दूध में एक्सपायरी पैकेट मिले थे। यह दूध मिड डे मील में उपयोग के लिए भेजा गया था। चौंकाने वाली बात यह रही कि कुछ पैकेटों पर पांच साल पुरानी एक्सपायरी डेट दर्ज थी।

शिक्षा विभाग के अनुसार, जिले में कुल 6,808 दूध के पैकेटों की आपूर्ति की गई थी, जिनमें एक किलो के 5,549 और आधा किलो के 1,259 पैकेट शामिल हैं। इस खेप की कुल कीमत 25 लाख 33 हजार 185 रुपये बताई गई है। मामला सामने आने के बाद विभाग ने सभी स्कूलों को इन पैकेटों को तुरंत सील कर सुरक्षित रखने के आदेश जारी किए हैं। अब दुग्ध संघ इन्हें वापस लेगा और नये दूध की आपूर्ति करेगा।

जिला शिक्षा अधिकारी हरक राम कोहली ने कहा कि सभी एक्सपायरी दूध के पैकेट वापस किए जाएंगे और हर ब्लॉक से सैंपल लेकर जांच कराई जाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि पूरे मामले की गहनता से जांच होगी और जिम्मेदारों पर कार्रवाई तय है।

वहीं, दुग्ध संघ के प्रबंधक प्रह्लाद सिंह का कहना है कि प्रारंभिक जांच में यह मामला प्रिंटिंग गलती का लग रहा है। फिर भी एहतियात के तौर पर पूरी खेप वापस ली जाएगी और नई सप्लाई भेजी जाएगी।

गनीमत रही कि समय रहते इस गलती का पता चल गया। यदि बच्चों को यह दूध पिला दिया जाता, तो उनके स्वास्थ्य पर गंभीर असर पड़ सकता था। जांच में यह भी सामने आया है कि कुछ दूध के पैकेटों पर मैन्यूफैक्चरिंग और एक्सपायरी डेट गड़बड़ तरीके से छपी हुई थी। इससे यह संदेह गहरा गया है कि दुग्ध संघ की गुणवत्ता जांच प्रणाली में गंभीर लापरवाही बरती जा रही है।

अब देखना होगा कि जांच के बाद इस पूरे मामले में दोष किसका निकलता है। प्रिंटिंग गलती का हवाला देने वाला दुग्ध संघ या फिर शिक्षा विभाग की निगरानी व्यवस्था।