सोने की रिकॉर्ड बढ़त के बीच चौंकाने वाला कदम, आरबीआई ने रोकी गोल्ड खरीद

सोने की कीमत एक बार फिर रिकॉर्ड तोड़ ऊंचाई पर पहुंच गई है। इस साल अब तक सोना 40 से ज्यादा बार नया ऑल टाइम…

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सोने की कीमत एक बार फिर रिकॉर्ड तोड़ ऊंचाई पर पहुंच गई है। इस साल अब तक सोना 40 से ज्यादा बार नया ऑल टाइम हाई बना चुका है। सोमवार को कीमत में अचानक दो हजार पांच सौ रुपये से अधिक की छलांग लग गई और एमसीएक्स पर सोना एक लाख तेईस हजार नौ सौ सतहत्तर रुपये प्रति दस ग्राम तक पहुंच गया।

लोग अब यह जानना चाहते हैं कि आखिर सोने में इतनी जबरदस्त तेजी की वजह क्या है। कोई इसे दुनिया भर के सेंट्रल बैंकों की लगातार खरीद से जोड़ रहा है तो कोई कह रहा है कि वैश्विक तनाव और युद्ध जैसी स्थितियों ने सोने को और चमका दिया है। सोशल मीडिया पर एक और थ्योरी चल रही है कि अमेरिका शायद अपने बढ़ते कर्ज से निकलने के लिए कोई बड़ी आर्थिक चाल चलने की तैयारी में है।

भारत के वित्तीय जगत में भी इस उछाल को लेकर खूब चर्चा है। लिंक्डइन पर एक पोस्ट में बताया गया कि 1970 से अब तक सोने ने छह सौ उनचास गुना रिटर्न दिया है। इसके बाद लोगों के मन में यह सवाल और गहरा गया कि आखिर सोना इतना ऊपर क्यों जा रहा है। कई लोग मान रहे हैं कि अमेरिका शायद अपने गोल्ड रिजर्व का फिर से मूल्यांकन करने की सोच रहा है। ऐसा होने पर वह अपने भारी कर्ज का बोझ कुछ हद तक हल्का कर सकता है। दिलचस्प यह है कि बीते पच्चीस सालों में अमेरिका के सोने के भंडार में कोई खास बढ़ोतरी नहीं हुई है।

जानकारों का कहना है कि अमेरिका अब भी अपने सोने की वैल्यू फेडरल रिजर्व के रिकॉर्ड में सिर्फ बयालिस डॉलर बाईस सेंट प्रति औंस दिखा रहा है। यह दर सत्तर के दशक में तय की गई थी। अमेरिका के पास आठ हजार एक सौ तैंतीस टन सोना है जिसकी आधिकारिक कीमत करीब ग्यारह अरब डॉलर है। मौजूदा समय में जब बाजार में सोने की कीमत चार हजार डॉलर प्रति औंस के पार जा चुकी है तो इसका वास्तविक मूल्यांकन एक ट्रिलियन डॉलर से ज्यादा बैठता है।

अगर अमेरिका अपने सोने की कीमत को मौजूदा भाव के हिसाब से रिसेट करता है तो उसे तुरंत बड़ा फायदा हो सकता है। कुछ एक्सपर्ट का कहना है कि ऐसा करने से अमेरिका अपने एक ट्रिलियन डॉलर का कर्ज खत्म कर सकता है लेकिन इससे डॉलर की स्थिति डगमगा सकती है और महंगाई तेजी से बढ़ सकती है। वहीं कुछ जानकारों का मानना है कि सोना बढ़ने का मतलब यह नहीं कि डॉलर कमजोर होगा। दोनों की चालें अलग हैं और दोनों एक साथ मजबूत भी रह सकते हैं।

इधर भारत ने भी हालात भांप लिए हैं। रिजर्व बैंक ने बीते दो महीनों में अपने गोल्ड रिजर्व में कोई बढ़ोतरी नहीं की है। आरबीआई के पास अब आठ सौ अस्सी टन सोना है जो देश के कुल विदेशी भंडार का करीब साढ़े बारह प्रतिशत हिस्सा है। अमेरिका के बाद सबसे ज्यादा सोना जर्मनी के पास है। उसके बाद इटली फ्रांस रूस चीन स्विट्जरलैंड और फिर भारत का नंबर आता है। जापान के पास आठ सौ छियालिस टन और तुर्की के पास आठ सौ सैंतीस टन सोना है।

दुनिया भर में सोने की यह उछाल आने वाले दिनों में और बढ़ सकती है क्योंकि हालात चाहे अर्थव्यवस्था के हों या राजनीति के दोनों ही दिशा में अनिश्चितता बरकरार है।