सोना-चांदी को पछाड़ता प्लैटिनम, इस साल कीमतों में अब तक 70 परसेंट की तेजी

फेस्टिव सीजन से पहले सोने और चांदी की बढ़ती कीमतों ने आम आदमी की पहुंच को लगातार कम कर दिया है। हालांकि अब सोने-चांदी के…

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फेस्टिव सीजन से पहले सोने और चांदी की बढ़ती कीमतों ने आम आदमी की पहुंच को लगातार कम कर दिया है। हालांकि अब सोने-चांदी के मुकाबले प्लैटिनम भी तेजी से अपनी जगह बना रहा है। इस साल प्लैटिनम की कीमतों में करीब 70 परसेंट का उछाल देखा गया है। वहीं, सोने में 51 परसेंट और चांदी में 58 परसेंट की बढ़त दर्ज की गई है। ध्यान देने वाली बात यह है कि भले ही प्लैटिनम की कीमतें बढ़ीं हैं, लेकिन यह मई 2008 के अपने रिकॉर्ड हाई 2250 डॉलर प्रति औंस से अभी भी करीब 28 परसेंट नीचे है।

प्लैटिनम की कीमतों में बढ़ोतरी का मुख्य कारण सप्लाई में कमी और डिमांड में तेजी है। ज्वैलरी के अलावा इसका इस्तेमाल ऑटो इंडस्ट्री, पेट्रोकेमिकल सेक्टर और हाइड्रोजन एनर्जी जैसी तकनीकों में भी होता है। पाइनट्री मैक्रो के फाउंडर रितेश जैन के मुताबिक, अब प्लैटिनम सोने के बराबर आ गया है। हाल ही में सोना प्लैटिनम से तीन गुना महंगा हो गया है, जिसके चलते लोग गहनों में सोने की जगह प्लैटिनम का इस्तेमाल कर रहे हैं।

विशेषज्ञों का कहना है कि 2025 में भी प्लैटिनम की मांग मजबूत बनी रहेगी, जबकि सप्लाई में कमी लगातार तीसरे साल जारी रहेगी। वर्ल्ड प्लैटिनम इंवेस्टमेंट काउंसिल के अनुसार, 2025 में प्लैटिनम की आपूर्ति में 8,50,000 औंस की गिरावट हो सकती है। इसका 70 प्रतिशत से अधिक हिस्सा ग्रीन टेक्नोलॉजी और वाहनों में कैटेलिटिक कन्वर्टर्स में इस्तेमाल होता है। दुनिया में सबसे अधिक प्लैटिनम दक्षिण अफ्रीका की खानों से आता है, लेकिन खराब मौसम, तकनीकी समस्याओं और सप्लाई चेन की दिक्कतों के चलते उत्पादन में भारी गिरावट आई है।

विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले सालों में भी सप्लाई में कमी और बढ़ती डिमांड की वजह से प्लैटिनम की कीमतों में और तेजी देखने को मिल सकती है।