वैज्ञानिकों ने खोजा है कि मस्तिष्क का सबसे खतरनाक कैंसर ग्लियोब्लास्टोमा केवल मस्तिष्क तक सीमित नहीं रहता बल्कि यह खोपड़ी की हड्डियों को भी नुकसान पहुंचाता है और शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को प्रभावित करता है। नई रिसर्च में पता चला है कि यह ट्यूमर मस्तिष्क और खोपड़ी की हड्डियों के बीच छोटे-छोटे रास्ते बना देता है जिससे सूजन बढ़ाने वाली प्रतिरक्षा कोशिकाएं ट्यूमर को बढ़ावा देती हैं।
चूहों पर की गई इमेजिंग और मरीजों के सीटी स्कैन से पता चला कि ग्लियोब्लास्टोमा खास तौर पर खोपड़ी की हड्डियों को नुकसान पहुंचाता है और हड्डियों की मज्जा में प्रतिरक्षा कोशिकाओं का संतुलन बदल देता है। रिसर्च में देखा गया कि सूजन-रोधी न्यूट्रोफिल की संख्या बढ़ जाती है जबकि बी कोशिकाएं लगभग गायब हो जाती हैं।
अध्ययन के मुख्य लेखक डॉ जिनान बेहनन ने बताया कि यह खोज बताती है कि वर्तमान ग्लियोब्लास्टोमा के इलाज जो सिर्फ मस्तिष्क पर केंद्रित हैं अक्सर सफल क्यों नहीं होते है। हड्डियों के क्षरण को रोकने वाली ऑस्टियोपोरोसिस की दवाओं ने खोपड़ी की हड्डियों को बचाया लेकिन कुछ मामलों में यह ट्यूमर को और ज्यादा आक्रामक बना देती है या इम्यूनोथेरेपी के असर को कम कर देती है।
इससे स्पष्ट होता है कि मस्तिष्क और हड्डियों को एक साथ लक्षित करते समय बहुत नाजुक संतुलन की जरूरत है। यह अध्ययन ग्लियोब्लास्टोमा को सिर्फ मस्तिष्क का रोग नहीं बल्कि पूरे शरीर को प्रभावित करने वाला रोग बताता है और ऐसे नए उपचारों के रास्ते खोलता है जो मस्तिष्क और हड्डियों की प्रतिरक्षा प्रणाली दोनों को ध्यान में रखते हैं।
