देहरादून। छह अक्टूबर सोमवार से उत्तराखंड में जमीन और फ्लैट खरीदना अब पहले से ज्यादा महंगा हो गया है। सरकार ने पूरे राज्य में नई दरें लागू कर दी हैं जिनका लोगों को सीधा असर अब अपनी जेब पर महसूस होगा। पिछले कई महीनों से इस पर तैयारी चल रही थी और आखिरकार शासन ने इन नई दरों को मंजूरी दे दी है।
दो साल बाद राज्य में फिर जमीनों के सर्किल रेट बदले गए हैं। इससे पहले साल 2023 में रेट बढ़ाए गए थे लेकिन इस बार की बढ़ोतरी को लेकर शासन ने खासा मंथन किया था। हर जिले में इस पर गहन काम हुआ और प्रस्ताव तैयार करके शासन को भेजे गए। इन प्रस्तावों की जांच पड़ताल के बाद शासन ने जिलाधिकारियों को नई दरें लागू करने के आदेश दे दिए।
पांच अक्टूबर से देहरादून समेत कई इलाकों में नई दरें लागू हो गई हैं। देहरादून में सबसे ज्यादा बढ़ोतरी देखने को मिली है। यहां जमीनों के रेट में नौ से बाइस प्रतिशत तक की बढ़ोतरी की गई है। पिछले कुछ वक्त में निर्माण कार्य और संपत्ति खरीद बिक्री में तेजी आई थी जिसके चलते दरें संशोधित करने की जरूरत महसूस की जा रही थी। सरकार भी पिछले छह महीने से इस पर लगातार काम कर रही थी।
अब जमीन खरीदने वालों को ज्यादा भुगतान करना होगा क्योंकि सरकार को भी अब ज्यादा राजस्व मिलेगा। देहरादून में पहले के मुकाबले इस बार रेट में भारी बढ़ोतरी देखी जा रही है। राजपुर रोड पर जहां पहले पचास मीटर की दूरी वाली जमीन पर सर्किल रेट साठ हजार रुपये के आसपास था वहीं अब इसे बढ़ाकर अड़सठ हजार कर दिया गया है। इसी तरह तीन सौ पचास मीटर तक की दूरी वाली जमीन का रेट जो पहले पचास हजार था अब बढ़कर पचपन हजार हो गया है।
देहरादून के थानो रोड इलाके में सबसे ज्यादा बढ़ोतरी की गई है जहां दरें बाइस प्रतिशत तक बढ़ाई गई हैं। फ्लैट का रेट भी अब पहले से ज्यादा है। पहले जहां यह छिहत्तर हजार रुपये प्रति वर्ग मीटर था वहीं अब यह बढ़कर बयासी हजार रुपये हो गया है। व्यावसायिक भवनों का रेट भी एक लाख पैंसठ हजार से बढ़ाकर एक लाख पचहत्तर हजार रुपये प्रति वर्ग मीटर कर दिया गया है।
विकासनगर में आवासीय भूमि की दरें दस प्रतिशत तक बढ़ी हैं जबकि ऋषिकेश में कई क्षेत्रों में बीस प्रतिशत तक की बढ़ोतरी की गई है। प्रमुख सड़कों से दूरी के आधार पर भी दरें तय की गई हैं। जहां पचास मीटर के दायरे में सबसे ज्यादा रेट रखा गया है वहीं दूरी बढ़ने पर थोड़ी राहत दी गई है।
अब जो भी व्यक्ति देहरादून या आसपास जमीन या फ्लैट खरीदेगा उसे पहले की तुलना में अधिक कीमत चुकानी होगी। सरकार का मानना है कि इससे राजस्व में इजाफा होगा जबकि खरीदारों को नई दरों का असर अपनी जेब पर महसूस करना पड़ेगा।
