उत्तराखंड के पहाड़ों पर इस बार खूब बर्फबारी होने के आशंका जताई जा रही है। मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि ला नीना के आने की वजह से ऐसा होगा। इस बार सर्दी भी अधिक पड़ेगी और मार्च के अंत तक ठंडी बनी रहेगी।
ठंड ज्यादा होने की वजह से पहाड़ों पर बर्फबारी भी होगी। पंतनगर विश्वविद्यालय के मौसम वैज्ञानिक ने बताया कि उत्तराखंड में इस बार दिसंबर से ला नीना का असर देखने को मिलेगा। इससे कड़ाके की ठंड भी आएगी। इसका मतलब है कि लोगों को इस बार लंबी और अच्छी ठंड का सामना करना पड़ेगा। इसका सीधा लाभ पर्यटन कारोबार को भी मिलेगा।
मौसम वैज्ञानिक ने यह भी बताया कि मौसम में धीरे-धीरे बदलाव होना शुरू हो गया है। दिन और रात के तापमान में गिरावट दर्ज हो रही है। उन्होंने यह भी कहा कि परिवर्तन अभी लगातार जारी रहेगा। अक्टूबर महीने के अंत तक ठंडक आ जाएगी। अगले वर्ष अप्रैल की शुरुआत में तापमान में धीरे-धीरे वृद्धि शुरू होगी जिससे लोगों को भीषण गर्मी से थोड़ी राहत मिल सकती है।
प्रशांत महासागर में समुद्र की सतह का पानी सामान्य से 0.5 डिग्री सेल्सियस या उससे अधिक ठंडा हो जाता है। इससे भारत में अच्छी बारिश और ज्यादा ठंड पड़ती है।
मौसम वैज्ञानिक ने बताया कि अगर ला नीना का ज्यादा असर रहा तो वह मई से जून की गर्मियों और जुलाई से सितंबर के सालाना चक्र को प्रभावित कर सकता है। फिलहाल सर्दियों के दिन तो ज्यादा होंगे। पश्चिमी विक्षोभ सहित अगर दूसरे कारक ज्यादा प्रभावी दिखे तो वह अपना असर भी दिखा सकते हैं।
मौसम विभाग ने बताया कि ला नीना के असर से मैदानी क्षेत्रों में भी मौसम बदला हुआ दिखाई देगा। इस बार कोहरा भी सामान्य से ज्यादा होगा।
मार्च और अप्रैल के महीनों को बसंत मौसम के रूप में जाना जाता है। ज्यादा दिन तक सर्दी पड़ने से बसंत के दिन भी प्रभावित हो सकते हैं।
