त्योहार के मौके पर रिफाइंड तेल निर्माता कंपनियों ने एक बड़ा खेल कर दिया है। अब तक 910 ग्राम का पाउच बनाकर बाजार में बेच रही कंपनियों ने 840 ग्राम, 830 ग्राम, 750 ग्राम के पाउच अब बाजार में उतार दिए हैं। कंपनियों ने जितना माल कम किया उतनी कीमत नहीं घटाई है।
इससे ग्राहक काफी दुखी लग रहे हैं। उन्हें लगभग 910 ग्राम के पाउच जितना ही मूल्य चुकाना पड़ रहा है। रिफाइंड कंपनियों ने बाजार में उपलब्ध पाउच में 910 ग्राम माल नवरात्र से पहले तक था। यही पाउच पर भी लिखा था। 1 लीटर का वजन 910 ग्राम होता है। सामान्य तौर पर 910 ग्राम के पाउच को फुटकर विक्रेता को 133-134 रुपये में बेचा जा रहा था और वे इसे ग्राहक को 140 से 145 रुपये में बेचते थे।
कुछ कंपनी 127 रुपए में फुटकर दुकानदार को बेच रही है जो 140 रुपए में ग्राहक को बेचा जा रहा है। बाजार में अधिक रिफाइंड बेचने वाली एक कंपनी ने 840 ग्राम वजन कर दिया और फुटकर दुकानदार को 133 की जगह 122 में देने लगे हालांकि फुटकर दुकानदार 840 ग्राम के पाउच को पहले की तरह 135 से 140 में बेच रहे हैं।
ऐसे ही एक अन्य प्रमुख कंपनी का पाउच 830 ग्राम का है। दुकानदारों को यह 127 रुपये की जगह 122 रुपये में मिल रहा, जबकि ग्राहक को पहले जैसे ही 140 रुपये में ही दिया जा रहा है।
एक बड़ी कंपनी का पाउच तो मात्र 750 ग्राम का है। 160 ग्राम तेल कम करने के बाद भी कंपनी ने 10 रुपये ही घटाए हैं। 910 ग्राम का पाउच 133 रुपये में दुकानदार को देती थी व अब 750 ग्राम का पाउच 123 रुपये दे रही है।
ग्राहकों को यह 160 ग्राम कम होने के बाद भी 140 रुपये का ही मिल रहा है। इससे साफ है कि कंपनी पहले से ज्यादा लाभ कमा रही व दुकानदार भी, लेकिन ग्राहक नुकसान में हैं।
बस्तियों की छोटी दुकानों में तो ग्राहकों को पाउच का वजन कम होने की जानकारी नहीं है। फुटकर दुकानदार का कहना है कि सरकार को इस पर नियंत्रण रखना चाहिए। कंपनियों को यह अधिकार नहीं होना चाहिए कि जिस भार के चाहे वैसे पाउच बना दें अभी तक एक ही भार वर्ग होने से ग्राहक उसके भाव के आधार पर समझ जाता था कि कौन सा पाउच सस्ता या महंगा है।
