डायबिटीज के मरीजों के लिए पैरों में जलन या तपन एक आम समस्या है। यह परेशानी सिर्फ पैरों तक सीमित नहीं रहती बल्कि नींद, मूड और रोजमर्रा की जिंदगी पर भी असर डालती है। जब आम उपाय असफल हो जाते हैं, तो आयुर्वेदिक उपचार राहत देने में कारगर साबित हो सकते हैं।
पैरों की जलन को कम करने के लिए पादाभ्यंग यानी पैरों की मालिश सबसे प्रभावी तरीका माना जाता है। इसमें गाय के घी, कैस्टर ऑयल या चंदन, क्षीरबला जैसे तेलों का इस्तेमाल किया जाता है। हल्की मालिश नसों को अंदर से पोषण देती है और जलन कम करती है। कांस्य के कटोरे से धीरे-धीरे मालिश करने से पैरों को ठंडक मिलती है और ब्लड सर्कुलेशन भी सुधरता है।
इसके अलावा ताजा एलोवेरा जेल तलवों पर लगाने से ठंडक और हाइड्रेशन मिलता है। यह नसों को शांत करता है, सूजन घटाता है और त्वचा को पोषण देता है। नियमित इस्तेमाल से ड्राईनेस और न्यूरोपैथिक जटिलताओं में भी कमी आती है।
हर्बल लेप यानी चंदन, उशीर, लोध्र और मंजिष्ठा का तैयार किया गया पेस्ट पैरों पर लगाने से ठंडक और सूदिंग असर होता है। यह पित्त और वात दोष को संतुलित करता है, सूजन कम करता है और पैरों की सेहत बनाए रखता है।
धारा यानी धीरे-धीरे तरल डालने की प्रक्रिया भी असरदार होती है। डायबिटिक न्यूरोपैथी में छाछ, दूध या औषधीय तेल की धारा से पैरों की नसों और टिश्यू को ठंडक, पोषण और राहत मिलती है। इससे जलन और बेचैनी दोनों में आराम मिलता है।
सही जीवनशैली और आयुर्वेदिक उपचारों के संयोजन से पैरों की जलन को कम किया जा सकता है। नियमित देखभाल और कोमल स्पर्श से पैरों को आराम, मजबूती और स्थायी राहत मिलती है। हर कदम मायने रखता है, इसलिए पैरों की सुरक्षा और स्वास्थ्य पर ध्यान देना जरूरी है।
