एम्स ऋषिकेश में करोड़ों का घपला, पूर्व निदेशक समेत कई आरोपियों पर CBI ने दर्ज किया मुकदमा

देहरादून। ऋषिकेश एम्स में करोड़ों रुपए के घपले का मामला सामने आया है। मामले में संस्थान के पूर्व निदेशक डा रविकांत समेत कई लोगों पर…

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देहरादून। ऋषिकेश एम्स में करोड़ों रुपए के घपले का मामला सामने आया है। मामले में संस्थान के पूर्व निदेशक डा रविकांत समेत कई लोगों पर भ्रष्टाचार का आरोप है और उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है। जांच में सामने आया कि कोरोनरी केयर यूनिट की स्थापना के दौरान बड़े स्तर पर अनियमितताएं हुईं। कई जरूरी उपकरण और सामग्री खरीदी ही नहीं गई लेकिन कागजों पर भुगतान दिखाकर ठेकेदार को फायदा पहुंचाया गया। इस पूरे मामले की जांच सीबीआई कर रही थी और जांच में आरोपियों की संलिप्तता पुष्टि हुई।

सीबीआई ने बताया कि तत्कालीन निदेशक डा रविकांत, तत्कालीन एडिशनल प्रोफेसर रेडिएशन ऑन्कोलॉजी डा राजेश पसरीचा और स्टोर कीपर रूप सिंह ने मिलकर सरकारी धन का दुरुपयोग किया। आरोपियों ने केवल कागजों में हेराफेरी नहीं की बल्कि जरूरी फाइलें गायब कर दीं ताकि गड़बड़ी उजागर न हो सके। 26 मार्च 2025 को कार्डियोलॉजी विभाग में छापेमारी के दौरान 16 बिस्तरों वाली यूनिट की निविदा फाइल नहीं मिली। रिकार्ड रूम में भी खोजबीन के बाद कोई दस्तावेज हाथ नहीं आया।

जानकारी के अनुसार ठेका 5 दिसंबर 2017 को दिल्ली की कंपनी को दिया गया था। 2019 और 2020 में सामान खरीदा गया लेकिन 16 बेड की यूनिट आज तक चालू नहीं हुई जिससे मरीजों को लाभ नहीं मिला। निरीक्षण में पता चला कि निर्माण अधूरा और घटिया था। प्रो मेडिक डिवाइसेज ने तय सामग्री उपलब्ध नहीं कराई। स्टॉक रजिस्टर में एंट्री होने के बावजूद आवश्यक उपकरण अस्पताल में नहीं मिले। 200 वर्ग मीटर दीवार पैनल, 91 वर्ग मीटर छत और 10 मल्टीपारा मॉनिटर एयर प्यूरीफायर में से कोई भी वस्तु मौजूद नहीं थी।

संयुक्त जांच समिति की रिपोर्ट में कहा गया कि 2.73 करोड़ रुपए की वस्तुएं और सिविल कार्य पूरे नहीं हुए फिर भी भुगतान किया गया। आरोपियों की मिलीभगत से यह सब संभव हुआ। दिल्ली के शकरपुर स्थित प्रो मेडिक डिवाइसेज के मालिक पुनीत शर्मा को भी दोषी पाया गया। हालांकि उनका निधन हो चुका है बावजूद इसके उनके फर्म को लाभ पहुंचाने के लिए अधिकारियों पर भ्रष्टाचार का आरोप साबित हुआ।

सीबीआई ने मुकदमा दर्ज कर आरोपियों के खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक कानून समेत अन्य धाराओं में कार्रवाई शुरू कर दी है। एजेंसी ने कहा कि यह केवल वित्तीय गड़बड़ी नहीं बल्कि संस्थान की साख को भी गंभीर चोट पहुंचाने वाला मामला है।