उत्तराखंड में पंजीकृत वक्फ संपत्ति यो में अतिक्रमण को लेकर अभी भी वक्फ बोर्ड के पास कोई जानकारी नहीं है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अल्पसंख्यक कल्याण विभाग को यह आदेश दिया है कि वह संपत्तियों की मौजूदा स्थिति के बारे में पूरा ब्यौरा तैयार किया जाए और उन्हें शीघ्र दिया जाए।
अल्पसंख्यक कल्याण विभाग में विशेष सचिव डॉक्टर पराग मधुकर के अध्यक्षता में अल्पसंख्यक कल्याण विभाग की समीक्षा बैठक हुई। इस दौरान उन्होंने वक्फ संपत्तियों के समयबद्ध पंजीकरण और प्रबंधन को लेकर सख्त निर्देश जारी किए।
उन्होंने यह भी कहा कि वक्फ संपत्तियों का रिकॉर्ड भारत सरकार के उम्मीद पोर्टल पर अनिवार्य रूप से दर्ज किया जाए। जब मामलों में संबंधित प्रकरण न्यायालय में लंबित है। उनकी प्रभावी पैरवी सुनिश्चित की जाए ताकि अतिक्रमण को रोका जा सके।
बैठक में बताया गया कि राज्य में सबसे अधिक वक्फ संपत्तियां देहरादून में हैं। यहां 1930 वक्फ संपत्तियां हैं। वहीं, हरिद्वार में 1721, ऊधम सिंह नगर में 949 और नैनीताल में 457 वक्फ संपत्तियां दर्ज हैं। सबसे कम वक्फ संपत्तियां पर्वतीय जिलों में हैं।
इनमें अल्मोड़ा में 94, पौड़ी में 60, टिहरी में 128, चंपावत में 13, बागेश्वर में दो और रुद्रप्रयाग में दो संपत्तियां दर्ज हैं। इन संपत्तियों में 1799 भवन, 1074 दुकान, 712 मकान, 769 कब्रिस्तान, 725 मस्जिद और 203 मदरसे हैं। इसके अलावा कृषि भूमि, प्लाट, स्कूल, इमामबाड़ा, हुजरा, दरगाह, मजार व अन्य श्रेणियों की संपत्ति सूचीबद्ध है।
अब तक सरकारी संपत्तियों पर हुए अवैध कब्जों के खिलाफ प्रभारी कार्रवाई करते हुए नौ हजार एकड़ भूमि को अतिक्रमण मुक्त करा चुकी है। बैठक में वक्फ बोर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी सईज शिराज उस्मान, निदेशक अल्पसंख्यक कल्याण राजेंद्र कुमार व उप सचिव हीरा सिंह बसेड़ा समेत संबंधित विभागों के अधिकारी उपस्थित थे।
