देहरादून उत्तराखंड में सरकारी शिक्षकों की नौकरी को लेकर हाल ही में बढ़ती चिंता को देखते हुए राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में विशेष पुनर्विचार याचिका दाखिल करने का फैसला किया है। सरकार का मानना है कि याचिका में अपना पक्ष रखने से शिक्षकों को राहत मिल सकती है।
राज्य में लंबे समय से सेवा देने वाले हजारों शिक्षक अब असुरक्षा का सामना कर रहे हैं क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने टीचर्स एलिजिबिलिटी टेस्ट पास करना अनिवार्य कर दिया है। पहले जिन शिक्षकों की भर्ती टीईटी के बिना हुई थी उन्हें अगले 2 साल के भीतर यह टेस्ट पास करना होगा। इस फैसले से करीब 18 हजार शिक्षक प्रभावित हो रहे हैं और उनकी नौकरी खतरे में दिख रही है। शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत ने कहा कि सरकार पूरी उम्मीद रखती है कि सुप्रीम कोर्ट में शिक्षकों का पक्ष रखने से स्थिति सुधर सकती है।
टीईटी 2011 से उत्तराखंड में लागू है लेकिन उससे पहले भर्ती हुए शिक्षक इससे छूट पा रहे थे। अब सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिए हैं कि सभी शिक्षकों को अगले 2 साल में टीईटी पास करना अनिवार्य है। हालांकि जिन शिक्षकों की सेवाएं 5 साल से कम बची हैं उन पर यह नियम लागू नहीं होगा। राज्य सरकार ने इस मामले में कैबिनेट की मंजूरी लेकर याचिका दायर करने का निर्णय लिया है ताकि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बावजूद शिक्षकों को राहत दी जा सके।
