नई दिल्ली: केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने सभी केंद्रीय मंत्रालयों विभागों और संस्थानों को आदेश दिया है कि वे फिजूलखर्ची से बचें और दिवाली समेत आने वाले त्योहारों पर उपहार देने की परंपरा को तुरंत बंद करें। वित्त मंत्रालय के व्यय विभाग ने 19 सितंबर को जारी आदेश में कहा कि यह कदम राजकोषीय अनुशासन बनाए रखने और अनावश्यक खर्च रोकने के लिए उठाया गया है। सरकार ने स्पष्ट किया कि सार्वजनिक धन का उपयोग सोच-समझकर और जिम्मेदारी से किया जाना चाहिए।
इस आदेश के अनुसार अब कोई भी सरकारी दफ्तर उपहार खरीदने बांटने या इससे जुड़े सामान पर खर्च नहीं करेगा। पिछले कुछ सालों में सरकार ने समय-समय पर खर्चों में कटौती के आदेश दिए हैं। कोविड-19 महामारी के दौरान सभी विभागों और केंद्रीय उपक्रमों को कैलेंडर डायरी ग्रीटिंग कार्ड और कॉफी टेबल बुक छापने से रोक दिया गया था। हालांकि दिसंबर 2022 में कैलेंडर छापने की अनुमति दी गई थी।
अब त्योहारों के दौरान उपहार देने पर प्रतिबंध लगाकर सरकार ने यह संदेश दिया है कि सार्वजनिक धन का उपयोग केवल जरूरी कामों के लिए ही होना चाहिए। वित्त मंत्रालय के व्यय विभाग ने कहा कि उपहार खरीदने की परंपरा लंबे समय से चली आ रही है लेकिन इसे अब तुरंत रोकना जरूरी है। इसके अलावा केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों को भी पहले ही निर्देश दिए गए थे कि वे त्योहारों पर उपहार खरीदने से बचें।
केंद्र सरकार वर्तमान में GST बचत उत्सव को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित कर रही है ताकि आम लोग कर की दर में कमी का लाभ उठा सकें। उपहारों पर यह प्रतिबंध इसी दिशा में उठाया गया कदम है।
