हिमाचल प्रदेश मानसून के विनाशकारी प्रभाव से जूझ रहा है। राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के अनुसार दो राष्ट्रीय राजमार्गों सहित 572 सड़के अभी भी बंद हैं। इसके अलावा पूरे राज्य में 483 वितरण ट्रांसफार्मर और 203 जगह जल आपूर्ति योजना ठप है।
एक रिपोर्ट में बताया गया की 20 जून से मानसून में कुल अभी तक 417 मोटे हो चुकी हैं जिसमें से 236 लोग भूस्खलन, अचानक बाढ़, घर गिरने और डूबने जैसी वर्षा जनित घटनाओं में मारे गए हैं जबकि 181 लोगों ने मौसम संबंधी व्यवधानों के कारण सरल दुर्घटना में अपनी जान गवाही है।
प्रमुख सड़क अवरोधों में, किन्नौर के निगुलसरी में राष्ट्रीय राजमार्ग-05 और ऊना में भदसाली पुल के पास राष्ट्रीय राजमार्ग-503A यातायात के लिए बंद हैं। कुल्लू जिले में, कुल्लू-मनाली मार्ग पर कलाथ और बिंदु ढांक के बीच राष्ट्रीय राजमार्ग-03 और आनी और जलोरी के बीच राष्ट्रीय राजमार्ग-305 के कुछ हिस्सों पर यातायात प्रतिबंधित है, जहाँ केवल हल्के वाहनों की आवाजाही की अनुमति है।
483 बिजली ट्रांसफार्मरों के बाधित होने से कई जिलों में बिजली आपूर्ति बुरी तरह प्रभावित हुई है, अकेले मंडी में 363 बार बिजली गुल हुई है। पेयजल आपूर्ति भी प्रभावित हुई है, खासकर हमीरपुर (49 योजनाएँ), मंडी (56 योजनाएँ) और शिमला (41 योजनाएँ) में, जिससे बड़ी आबादी को आवश्यक वस्तुओं के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है।
ज़िलेवार, मंडी (229 सड़कें अवरुद्ध) और कुल्लू (153 सड़कें अवरुद्ध) सबसे ज़्यादा प्रभावित ज़िलों में से हैं। शिमला (46 सड़कें), कांगड़ा (46 सड़कें), चंबा (21 सड़कें) और सोलन (16 सड़कें) जैसे अन्य ज़िले भी लगातार भूस्खलन और फिसलन का ख़ामियाज़ा भुगत रहे हैं।
बताया जा रहा है कि यहां बहाली का काम लगातार चल रहा है लेकिन बार-बार बारिश होने की वजह से फिर से भूस्खलन जैसे घटनाएं हो जाती हैं और कई हिस्सों में सफाई में बाधा आ जाती है
