उत्तराखंड के नैनीताल जिले के रामनगर स्थित पीएनजी पीजी महाविद्यालय में पिछले पांच वर्षों में छात्र-छात्राओं की संख्या में निरंतर गिरावट देखी जा रही है। वर्ष 2020 और 21 में यहां कुल 5079 छात्र छात्राएं पढ़ाई कर रहे थे जिसमें से 1991 छात्र और 3088 छात्राएं थी।
हालांकि वर्ष 2021-22 में छात्र-छात्राओं की संख्या थोड़ी बढ़ी और बढ़कर 2108 हो गई लेकिन इसके बाद यहां गिरावट का सिलसिला जारी हो गया।
2022-23 में छात्र संख्या 1911 और छात्राएं 2907 रह गईं। वर्ष 2023-24 में छात्र संख्या 1784 और छात्राएं 2969 तक सीमित रह गईं। वहीं, वर्तमान वर्ष 2024-25 में छात्र संख्या घटकर 1671 और छात्राएं 2922 रह गईं, जिससे कुल छात्र-छात्राओं की संख्या 4593 तक सीमित हो गई है।
महाविद्यालय के प्राचार्य ने इस गिरावट के कारण पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि रामनगर क्षेत्र में नए कॉलेजों की स्थापना से छात्र-छात्राएं पुराने महाविद्यालय से इंडिया संस्थाओं की ओर जा रहे हैं। इसके अलावा छोटे कॉलेज में जरूरी विषय उपलब्ध नहीं है। इस कारण सभी बड़े महाविद्यालय में जाना चाहते हैं।
उन्होंने बताया कि परंपरागत शिक्षा प्रणाली से छात्र धीरे-धीरे दूर हो रहे हैं और तकनीकी शिक्षा और रोजगार की दिशा में अधिक रुचि ले रहे हैं। खासकर लड़के जो आर्थिक कारणो से इंटरमीडिएट के बाद नौकरी की तलाश में निकल जाते हैं जिससे छात्र संख्या में गिरावट हो रही है।
वहीं छात्राओं में भी इस गिरावट का प्रभाव कम देखने को मिला है।
उन्होंने बताया कि 5 साल पहले यहां छात्र-छात्राओं का अनुपात 100 छात्र पर 155 छात्राएं थी जो अब बढ़कर 100 छात्र पर 175 छात्राएं हो गया है। इसके अलावा अच्छे अंक प्राप्त करने वाले साइंस स्ट्रीम के छात्र सरकारी स्कूलों के बजाय नई यूनिवर्सिटी और प्राइवेट कॉलेज में दाखिला लेना पसंद करते हैं।
प्राचार्य ने कहा कि इस पूरी स्थिति को समझने और सुधारने के लिए गहन अध्ययन की आवश्यकता है ताकि क्षेत्रीय शिक्षा का संतुलन बना रहे और सभी छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध हो सके। उन्होंने उम्मीद जताई कि बेहतर नीतियों और योजनाओं से इस गिरावट को रोका जा सकेगा और महाविद्यालय की प्रतिष्ठा को पुनः स्थापित किया जा सकेगा।
