हरिद्वार अर्धकुंभ 2027 में साधु संतों के संग तीन शाही स्नानों की परंपरा होगी पूरी ,अखाड़ा परिषद ने घोषित की तिथियां

साल 2027 में हरिद्वार में होने वाला अर्धकुंभ मेला कई मायनों में ऐतिहासिक होने जा रहा है। इस बार पहली बार ऐसा होगा जब कुंभ…

n68087980017577635242554af11366401e7463d36db78ec47383d0a5d169677fb0f4c6cc4dccec30b6d55a

साल 2027 में हरिद्वार में होने वाला अर्धकुंभ मेला कई मायनों में ऐतिहासिक होने जा रहा है। इस बार पहली बार ऐसा होगा जब कुंभ की तर्ज पर अर्धकुंभ में भी साधु संतों और अखाड़ों के तीन शाही स्नान होंगे। सरकार की इस पहल पर अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने अपनी सहमति दे दी है और अब तीनों अमृत स्नानों की तिथियां भी घोषित कर दी गई हैं।

अखाड़ा परिषद ने तय किया है कि पहला शाही स्नान छह मार्च को महाशिवरात्रि के दिन होगा। दूसरा अमृत स्नान आठ मार्च को सोमवती अमावस्या पर होगा और तीसरा व अंतिम स्नान 14 अप्रैल को वैशाखी यानी मेष संक्रांति पर होगा। मेष संक्रांति कुंभ मेले में भी सबसे प्रमुख अमृत स्नान माना जाता है। वहीं 14 जनवरी को मकर संक्रांति पर भी स्नान पर्व होगा लेकिन उसे अमृत स्नान की श्रेणी में नहीं रखा गया है।

अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष और निरंजनी अखाड़ा के सचिव श्रीमहंत रविंद्र पुरी ने कहा कि अमृत स्नान कुंभ और अर्धकुंभ दोनों की आत्मा हैं और इसी से मेले की आध्यात्मिकता जीवित रहती है। परिषद ने तैयारियों को अंतिम रूप देना शुरू कर दिया है। सरकार भी जल्द ही प्रशासनिक स्तर पर इन तिथियों की आधिकारिक घोषणा करेगी ताकि सभी इंतजाम उसी के मुताबिक पूरे किए जा सकें।

हरिद्वार और प्रयागराज ही ऐसे दो स्थान हैं जहां अर्धकुंभ का आयोजन होता है। प्रयागराज में अर्धकुंभ की भव्यता हमेशा कुंभ की तरह ही रही है लेकिन हरिद्वार में अब तक अर्धकुंभ केवल श्रद्धालुओं के स्नान पर्व तक सीमित रहता आया है। वजह यह रही कि जिस साल हरिद्वार में अर्धकुंभ होता है उसी साल उज्जैन या नासिक में सिंहस्थ पर्व भी पड़ जाता है जिससे अखाड़े वहां चले जाते हैं और हरिद्वार में शाही छावनियां नहीं लगतीं।

लेकिन 2027 का संयोग अलग है। हरिद्वार में अर्धकुंभ मार्च और अप्रैल में होगा जबकि सिंहस्थ नासिक में जुलाई और अगस्त में आयोजित होगा। इस वजह से अखाड़ों को कोई असमंजस नहीं रहेगा और वे हरिद्वार के अर्धकुंभ में डेरा डालेंगे। यही कारण है कि इस बार हरिद्वार एक नई परंपरा का गवाह बनेगा और अर्धकुंभ में पहली बार साधु संतों के तीन शाही स्नान होंगे।