खटीमा में नेपाल के Gen Z आंदोलन की हिंसा से उत्तराखंड के सीमावर्ती बाजारों की रौनक पूरी तरह खत्म हो गई है। बनबसा बाजार जो नेपाल सीमा के पास है और हमेशा नेपाली ग्राहकों की भीड़ से भरा रहता था अब सूना सा दिखाई दे रहा है। बनबसा बाजार का लगभग 90 प्रतिशत कारोबार नेपाल के ग्राहकों पर निर्भर करता है इसलिए व्यापारियों के चेहरे पर चिंता साफ नजर आ रही है। बनबसा कस्बा चंपावत जिले में नेपाल की कंचनपुर सीमा से सटा हुआ है और महेंद्रनगर शहर तक की दूरी सात से आठ किलोमीटर है।
इस बाजार में नेपाल के व्यापारी रोजाना खरीदारी करने आते थे और नेपाल के स्थानीय लोग भी रोजमर्रा की जरूरी चीजें खरीदने बनबसा आते थे लेकिन अब वहां का सारा कारोबार ठप पड़ा है। Gen Z आंदोलन की हिंसा के कारण नेपाल में शांति व्यवस्था बहाल करने के लिए कर्फ्यू लगाया गया है जिससे बनबसा का मीना बाजार पूरी तरह खाली हो गया है। बनबसा व्यापार मंडल के अध्यक्ष भरत भंडारी के अनुसार बाजार को रोजाना चालीस से पचास लाख रुपए का नुकसान हो रहा है। व्यापारी शाम चार बजे तक ही अपनी दुकानों को बंद कर घर चले जाते हैं।
पहले नेपाल के ग्राहक नमक, तेल, चीनी, मसाले, परचून, सब्जी और गुड़ जैसी रोजमर्रा की चीजें खरीदते थे लेकिन अब सब कुछ सन्नाटा है। त्योहारी सीजन में दशहरा और दीपावली के लिए व्यापारियों ने पहले ही काफी सामान खरीद रखा था लेकिन नेपाल के हिंसक आंदोलन ने उनकी उम्मीदें तोड़ दी हैं। यदि हालात जल्द नहीं सुधरे और बॉर्डर पर ढील नहीं दी गई तो बनबसा बाजार को भारी नुकसान होगा क्योंकि नेपाल में दशहरा सबसे बड़ा त्यौहार माना जाता है। इस दौरान बनबसा बाजार का रोजाना कारोबार ढाई से तीन करोड़ रुपए तक होता है।
व्यापारी इसे लेकर बहुत चिंतित हैं। उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले के धारचूला, जौलजीवी, झूलाघाट, व्यासवैली और पंचेश्वर के सीमावर्ती बाजारों पर भी नेपाल के आंदोलन का असर साफ दिख रहा है।
