उत्तराखंड के स्कूल और उच्च शिक्षा संस्थानों में अब छात्रों को अपनी पसंद के विषय चुनने के लिए फ्रीडम मिल गया है। इसके साथ ही नई शिक्षा नीति 2020 के तहत लागू होने जा रहे मल्टीप्ल एंट्री और एग्जिट व्यवस्था से छात्र बीच में पढ़ाई छोड़कर बाद में दोबारा उसी स्तर से पढ़ाई शुरू कर सकेंगे।
शिक्षा मंत्री डॉ धन सिंह रावत के अध्यक्षता में सचिवालय में टास्क फोर्स की बैठक हुई। बैठक में राष्ट्रीय क्रेडिट फ्रेमवर्क के तहत तैयार हो रहे नए पाठ्यक्रम पर चर्चा की गई और कई अहम प्रस्ताव भी पारित किए गए।
इस नई व्यवस्था में छात्रों को पढ़ाई में लचीलापन मिलेगा। अगर कोई छात्र एक साल पढ़ाई करता है तो उसे सर्टिफिकेट, 2 साल पढ़ाई में करने पर डिप्लोमा और 3 साल पढ़ाई करने पर स्नातक डिग्री और 4 साल की पढ़ाई पूरे करने पर स्नातक विद रिसर्च डिग्री प्रदान की जाएगी।
डॉक्टर रावत ने बताया कि छात्रों को मौजूदा समय की जरूरत के अनुसार ईवी टेक्नोलॉजी, इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT), डाटा एनालिसिस, उभरती तकनीकों और एंटरप्रेन्योरशिप जैसे आधुनिक विषय पढ़ने का मौका मिलेगा।
वहीं दूसरी ओर भारतीय ज्ञान परंपरा को बढ़ावा देने के लिए ज्योतिष विज्ञान, योग, आयुष, वास्तु, कृषि, वानिकी और औद्यानिकी जैसे विषयों को भी पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाया जाएगा।
बैठक में मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन, सचिव उच्च एवं तकनीकी शिक्षा डॉ. रणजीत सिन्हा, सचिव वित्त वी. षणमुगम, सचिव कृषि एवं कृषि शिक्षा एस.एन. पाण्डेय, सचिव संस्कृत शिक्षा दीपक गैरोला और प्रदेश के विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलपति उपस्थित रहे।
