उत्तराखंड के हरिद्वार में स्थित रामकृष्ण मिशन अस्पताल में मृतका के शव को ले जाने के लिए एंबुलेंस को अंदर नहीं आने दिया गया, जिसके बाद परिजनों ने हंगामा किया। डीएनए इस मामले में स्वास्थ्य विभाग को जांच करने के आदेश दिए हैं। वहीं अस्पताल प्रशासन एक अलग ही दावा कर रहा है जिससे नया एंगल सामने आया है।
बताया जा रहा है कि इस मामले में जब रामकृष्ण मिशन अस्पताल में एक नाबालिग लड़की को लाया गया था। लड़की ने फांसी लगाकर आत्महत्या की थी। डॉक्टरों ने जांच के बाद उसे मृत घोषित कर दिया था जिसके बाद परिजनों ने उसके शव को ले जाने के लिए एंबुलेंस बुलाई।
बताया जा रहा है कि अस्पताल के गार्ड ने एंबुलेंस को अंदर नहीं आने दिया जिसके बाद एंबुलेंस बाहर से ही वापस चला गया इस घटना को लेकर मृतका के परिजनों ने हंगामा शुरू कर दिया, जिसके बाद मामले ने तूल पकड़ लिया और बात डीएम मयूर दीक्षित तक पहुंच गई।
इस हंगामा के बाद डीएम ने स्वास्थ्य विभाग को इस घटना की जांच के आदेश दिए अधिकारियों ने बताया कि जिस भी अस्पताल में लापरवाही या नियमों का उल्लंघन किया जाएगा वहां किसी भी कीमत में समझौता नहीं किया जाएगा। डीएम ने चेतावनी दी के मरीजों की जान से खिलवाड़ करने वालों की खैर नहीं है।
रामकृष्ण मिशन अस्पताल की ओर से इस मामले पर सफाई आई है। अस्पताल के सचिव स्वामी दया मूर्त्यानंद महाराज ने कहा कि अमित धीमान नाम का जो शख्स एंबुलेंस को कंपाउंड में घुसने ना देने की बात कर रहा है वो ग़लत है जब तक मृतका के परिजन शव लाए उससे पहले ही एंबुलेंस वाला चला गया था।
बताया जा रहा है रामकृष्ण मिशन अस्पताल को बदनाम करने के लिए आरोप लग रहे हैं। अमित धीमान में कुछ साल पहले अस्पताल के डॉक्टर के साथ मारपीट की थी। डॉक्टर जिस मरीज को हायर सेंटर भेजते वह उसे एक अन्य निजी अस्पताल में ले जाता था जिससे मरीजों को आर्थिक और स्वास्थ्य से संबंधित नुकसान हो रहा था। अमित धीमन की इन्हीं हरकतों की वजह से उसे निकाला गया और उसे एंट्री नहीं दी गई।
अस्पताल प्रशासन द्वारा सीसीटीवी फुटेज भी दिखाई गई जिसमें दावा किया गया कि एंबुलेंस चालक शव आने से पहले ही बाहर चला गया ताकि उन्हें बदनाम किया जा सके। उन्होंने दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है जो मिशन को बदनाम कर रहे हैं।
