हाईकोर्ट की सख्ती नैनीताल जिला पंचायत चुनाव में आयोग और प्रशासन की भूमिका पर उठे सवाल

नैनीताल। उत्तराखंड हाईकोर्ट में जिला पंचायत अध्यक्ष और उपाध्यक्ष चुनाव को लेकर कड़ी सुनवाई हुई। मुख्य न्यायाधीश जी नरेंद्र और न्यायमूर्ति सुभाष उपाध्याय की खंडपीठ…

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नैनीताल। उत्तराखंड हाईकोर्ट में जिला पंचायत अध्यक्ष और उपाध्यक्ष चुनाव को लेकर कड़ी सुनवाई हुई। मुख्य न्यायाधीश जी नरेंद्र और न्यायमूर्ति सुभाष उपाध्याय की खंडपीठ ने इस मामले में चुनाव आयोग से सख्त सवाल पूछे। अदालत ने जानना चाहा कि उन पांच सदस्यों पर अब तक क्या कदम उठाए गए जिन्होंने बिना अनुमति मतदान में हिस्सा ही नहीं लिया।

ऑब्जर्वर की रिपोर्ट पर भी अदालत ने असंतोष जताया। आयोग की ओर से बताया गया कि चुनाव पर्यवेक्षक ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि मतदान केंद्र के आसपास सौ मीटर तक कोई गड़बड़ी या हिंसा नहीं हुई। इस पर अदालत ने कहा कि जब नियम के अनुसार आधा किलोमीटर तक निषेधाज्ञा लागू होती है तो सौ मीटर की बात कैसे आ गई। अदालत ने साफ टिप्पणी करते हुए कहा कि आपके ऑब्जर्वर पूरी तरह नाकाम साबित हुए हैं।

चुनाव के दौरान अपहरण और एफआईआर को लेकर भी सवाल उठे। याचिका पक्ष की ओर से कहा गया कि चुनाव वाले दिन अपहरण जैसे गंभीर आरोपों पर पांच से छह मुकदमे दर्ज हुए लेकिन इनका कोई जिक्र रिपोर्ट में नहीं है। इस पर अदालत ने नाराजगी जताई और पूछा कि जब अपराध की जानकारी पहले से थी तो अधिकारियों ने मौके पर कार्रवाई क्यों नहीं की।

डीएम और एसएसपी की भूमिका पर भी अदालत ने टिप्पणी की। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि जब खुद एसएसपी मान रहे हैं कि पांच सदस्य बिना इजाजत बाहर गए तो उन पर कार्रवाई क्यों नहीं हुई। अदालत ने डीएम की रिपोर्ट को लेकर तंज कसते हुए कहा कि क्या डीएम पंचतंत्र की कहानियां भेज रही थीं। साथ ही कहा कि एसएसपी तो पूरी तरह असफल साबित हुए हैं।

अदालत ने यह भी साफ किया कि वह यह जानने की कोशिश नहीं कर रही कि किसने किसे वोट दिया बल्कि यह देखा जा रहा है कि कहीं किसी सदस्य को वोट डालने से रोका तो नहीं गया। खंडपीठ ने चुनाव आयोग को निर्देश दिए कि सोमवार तक हलफनामे के रूप में अपना पूरा पक्ष अदालत के सामने रखे।