हरिद्वार के जगजीतपुर स्थित राजकीय मेडिकल कॉलेज को प्राइवेट पब्लिक पार्टनरशिप (पीपीपी) मोड में संचालित करने के सरकार के फैसले का विरोध अब सत्तारूढ़ दल के नेताओं तक पहुंच गया है। इसमें सत्तारूढ़ दल अब लंबे समय के बाद एक्शन में आया है।
बताया जा रहा है कि रानीपुर विधायक आदेश चौहान और हरिद्वार नगर निगम की महापौर किरण जैसल ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से मुलाकात कर मेडिकल कॉलेज को पीपीपी मोड में न देकर राज्य सरकार की ओर से ही संचालित करने की मांग रखी। इस दौरान उन्होंने मुख्यमंत्री को इस आशय का पत्र भी सौंपा।
जनवरी 2025 में उत्तराखंड शासन ने कॉलेज को पीपीपी मोड में देने का निर्णय किया था तब से छात्र संगठन कांग्रेस और विभिन्न सामाजिक संगठनों ने इसका विरोध किया और कई ज्ञापन भी सौंपे, लेकिन सरकार अपने रुख पर कायम रही।
अब भाजपा के स्थानीय जनप्रतिनिधि खुलकर इस फैसले का विरोध कर रहे हैं। मुख्यमंत्री से मिलने के बाद विधायक आदेश चौहान ने कहा कि हरिद्वार में केंद्र और राज्य सरकार के सहयोग से बेहतर चिकित्सा व्यवस्था के उद्देश्य से राजकीय मेडिकल कॉलेज का निर्माण किया गया था।
नगर निगम ने इसके लिए निशुल्क भूमि दी थी। ऐसे में इसे पीपीपी मोड में देने से सभी की भावनाओं को ठेस पहुंचेगी। आदेश चौहान ने कहा कि यदि मेडिकल कॉलेज निजी हाथों में गया तो एमबीबीएस की पढ़ाई करने वाले उत्तराखंड के छात्रों को महंगी फीस चुकानी पड़ेगी और आम जनता के लिए स्वास्थ्य सुविधाएं भी महंगी हो जाएंगी। यह कदम जनहित के विरुद्ध होगा।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने दोनों जनप्रतिनिधियों की भावनाओं को गंभीरता से लिया और उन्हें एक आश्वासन दिया मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार की ओर से अभी तक मेडिकल कॉलेज को पीपीपी मोड में देने का कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है।
उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि स्थानीय जनता और जनप्रतिनिधियों की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए इस विषय पर सकारात्मक विचार किया जाएगा।
