उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने नैनीताल जिला पंचायत अध्यक्ष और उपाध्यक्ष चुनाव से जुड़ी री-पोलिंग की मांग वाली याचिका पर सुनवाई की। अदालत ने निर्वाचन आयोग को निर्देश दिया है कि वह जिला पंचायत अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष निर्वाचन और विवाद निवारण नियमावली 1994 की हैंडबुक पेश करे। मुख्य न्यायाधीश जी. नरेंद्र और न्यायमूर्ति सुभाष उपाध्याय की खंडपीठ ने इस मामले की अगली सुनवाई बुधवार को तय की है।
यह मामला 14 अगस्त को हुए चुनाव से जुड़ा है। उस दिन कुल 27 में से 22 सदस्यों ने मतदान किया था, जबकि शेष पांच सदस्यों के अपहरण का मुकदमा तल्लीताल थाने में दर्ज हुआ। बाद में इन सदस्यों ने शपथपत्र देकर चुनाव प्रक्रिया से खुद को अलग बताया और वीडियो जारी कर अपनी सुरक्षा की जानकारी दी।
हाईकोर्ट ने इस पूरी घटना को गंभीर मानते हुए इसे जनहित याचिका के रूप में दर्ज किया और जिला अधिकारी तथा एसएसपी को अदालत में तलब किया। सुनवाई में डीएम ने बताया कि वह निर्वाचन आयोग को पत्र लिखकर पुनः मतदान कराने की अनुशंसा करेंगी।
इस दौरान आयोग की ओर से अधिवक्ता संजय भट्ट ने कहा कि पिछली सुनवाई में सभी पक्ष अपनी दलीलें रख चुके हैं, लेकिन आज फिर लंबी बहस हुई। अदालत ने साफ कहा कि यदि नियमावली में इस पर स्पष्ट प्रावधान नहीं है तो अंतिम निर्णय निर्वाचन आयोग को ही लेना होगा। वहीं, याची की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता देवीदत्त कामथ ने कहा कि उनकी दलील सीधे उच्च न्यायालय के समक्ष ही रखी जाएगी।
