नैनीताल जिला पंचायत के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष चुनाव के दौरान उत्पन्न विवाद अब गंभीर संकट में बदल गया है। इस पूरी घटना से आहत होकर वरिष्ठ अधिवक्ता रवीन्द्र सिंह बिष्ट ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। बिष्ट बीते दो दशकों से जिला पंचायत का पक्ष नैनीताल हाईकोर्ट और उत्तराखंड लोक सेवा अधिकरण में रख रहे थे।

अपने त्यागपत्र में बिष्ट ने लिखा कि 14 अगस्त को मतदान के दिन पांच निर्वाचित सदस्यों का हथियारबंद लोगों द्वारा अपहरण किया गया और पुलिस केवल देखती रही। उन्होंने कहा कि पुलिस की मिलीभगत से हुई इस घटना ने निष्पक्ष न्याय की उम्मीद खत्म कर दी, इसलिए उन्होंने तत्काल प्रभाव से पद छोड़ने का निर्णय लिया।
बिष्ट ने 20 वर्षों तक जिला पंचायत का पक्ष रखने का अवसर मिलने पर आभार व्यक्त किया, लेकिन लोकतंत्र को कलंकित करने वाली इस घटना और पुलिस की निष्क्रियता ने उन्हें इस्तीफा देने के लिए मजबूर किया। उनके इस्तीफे के बाद प्रशासनिक कार्यप्रणाली और चुनावी निष्पक्षता पर गंभीर सवाल उठ खड़े हुए हैं।
उधर, जिलाधिकारी और जिला निर्वाचन अधिकारी वंदना सिंह ने चुनाव संबंधी अनंतिम रिपोर्ट उत्तराखंड राज्य निर्वाचन आयोग को भेज दी है। मतगणना देर रात पूरी होने के बावजूद परिणाम घोषित नहीं किए गए और उन्हें सीलबंद लिफाफे में डबल लॉक व्यवस्था के तहत कोषागार में सुरक्षित रखा गया है। अब अंतिम फैसला राज्य निर्वाचन आयोग करेगा। फिलहाल इस मामले की सुनवाई नैनीताल हाईकोर्ट में जारी है।
