उत्तराखंड विधानसभा के मानसून सत्र के लिए सोमवार को गैरसैण पहुंचने में नेता, अफसर को काफी कठिनाई हुई। जगह-जगह भूस्खलन की वजह से पहाड़ियों से मलबा गिरा और बोर्डर की वजह से लंबे समय तक जाम में नेता फंसे रहे। इस वजह से गैरसैण की दूरी तय करने में 8 से 10 घंटे लग गए।
कई नेता और अफसर को पहली बार पता चला कि पहाड़ों के लोगों को आपदा के इस सीजन में कैसे चट्टान खिसककर गिरने का डर रहता है जिसकी वजह से लोग काफी सहमे रहते हैं । इस सफर में उन्हें आम आदमी के आए दिन के कष्ट का अनुभव देहरादून से गैरसैंण के पूरे रास्ते भर होता रहा।
भूस्खलन की वजह से बंद रास्तों की शुरुआत ऋषिकेश से कुछ आगे से हो गई थी। यहां ब्रह्मपुरी फिर शिवपुरी के पास मलबे की वजह से सारी सड़के बंद थी। पहाड़ी से भारी मात्रा में बोर्डर आ जाने की वजह से रास्ते सारे बंद हो गए। वहां मौजूद श्रमिकों ने काफी मशक्कत की जिसके बाद रास्ते को छोटे वाहनों के जाने लायक बनाया और उसके बाद कुछ यातायात आगे बढ़ा देवप्रयाग से आगे मुल्यागांव तक करीब 17 किलोमीटर के रास्ते में आलवेदर रोड भूस्खलन से बुरी तरह से प्रभावित है।
यहां इस 17 किलोमीटर के पेच में सैकड़ों की संख्या में वाहन घंटो तक फंसे रहे। पूर्व काबीना मंत्री मदन कौशिक, पूर्व नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह, कांग्रेस विधायक विक्रम सिंह नेगी समेत कई विधायक यहां जगह जगह फंसे रहे।
देवप्रयाग में स्थानीय निवासियों ने बताया कि बारिश के बाद से ही सड़क काफी खराब स्थिति में है। बार-बार बंद होने की वजह से उन्हें मुश्किलें भी हो रही हैं। उन्होंने बताया कि रविवार रात से बंद होने के बाद सड़क दोपहर करीब 12.30 बजे खुल पाई। हालांकि सड़क पर जिस हिसाब से मलबा बिखरा पड़ा है उससे सड़क के फिर बंद होने का भी खतरा बना हुआ है।
गैरसैण आते वक्त रास्ते में सड़क पर कई स्थानों पर जेसीबी मशीन भी दिखाई दे लेकिन जिस मूल्यागांव से देवप्रयाग के भी सड़क सबसे ज्यादा खराब थी उसके अंदर एक भी मशीन नहीं थी इस सड़क पर हर जगह मलबा था।
रुद्रप्रयाग-गौचर के बीच कमेड़ा में भारी बोल्डर की वजह से बीती रात से बंद रास्ता दोपहर करीब दो बजे खुल पाया। सड़क मार्ग से गैरसैंण जाते वक्त खुद कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज को भी रास्ते की दुश्वारियों से जूझना पड़ा। कई स्थानों पर उनका काफिला रुकता रहा।
