देश में एलएसडी मरीजों का इलाज ठहरा, फंड की सीमाओं और प्रशासनिक रुकावटों ने बढ़ाया संकट

सरकार ने वर्ष 2021 में नेशनल पॉलिसी फॉर रेयर डिजीज लागू करके दुर्लभ बीमारियों के इलाज का रास्ता खोला था और उत्कृष्टता केंद्रों को फंड…

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सरकार ने वर्ष 2021 में नेशनल पॉलिसी फॉर रेयर डिजीज लागू करके दुर्लभ बीमारियों के इलाज का रास्ता खोला था और उत्कृष्टता केंद्रों को फंड भी दिए गए थे। लेकिन अब लाइसोसोमल स्टोरेज डिसऑर्डर जैसी गंभीर बीमारियों से जूझ रहे कई मरीजों का इलाज बीच में ही रुक गया है। प्रति मरीज स्वीकृत राशि की 50 लाख रुपये तक की सीमा और फंड जारी करने में देरी के कारण अब तक 50 मरीज इलाज के लाभ से बाहर हो चुके हैं। एम्स दिल्ली में सात मरीजों का इलाज रुका हुआ है जबकि स्वास्थ्य मंत्रालय की वेबसाइट पर दर्ज आंकड़ों के मुताबिक 500 से अधिक मरीजों में से 300 से ज्यादा को अभी तक इलाज नहीं मिल रहा। पिछले सालों में 50 मरीजों की मौत हो चुकी है, जिनमें 20 केवल बीते एक साल में हुई हैं। एम्स दिल्ली में पांच और मौलाना आजाद मेडिकल कालेज में एक मौत दर्ज की गई।

एलएसडी एक प्रकार का आनुवंशिक विकार है जो शरीर की कोशिकाओं में कुछ लिपिड या शर्करा को तोड़ने वाले एंजाइम की कमी के कारण होता है। उपचार विकल्पों में अस्थि मज्जा प्रत्यारोपण, एंजाइम रिप्लेसमेंट थेरेपी और सब्सट्रेट रिडक्शन थेरेपी शामिल हैं। यह इलाज महंगा और जटिल होने के कारण कई वर्षों तक चल सकता है। मई 2025 की रिपोर्ट के अनुसार वित्तीय वर्ष 2021-22 से 2024-25 के बीच एनपीआरडी-2021 के तहत 12 प्रमुख अस्पतालों को 205 करोड़ रुपये से अधिक की राशि दी गई। सबसे अधिक फंड एम्स दिल्ली को 53 करोड़ रुपये, एसजीपीजीआइ लखनऊ को 20 करोड़ रुपये और केईएम मुंबई को 23 करोड़ रुपये आवंटित किया गया।

फंड जारी करने में विलंब, प्रति मरीज सीमा और निगरानी की कड़ाई न होने के कारण सैकड़ों मरीजों की जान जोखिम में है। एंजाइम रिप्लेसमेंट थेरेपी बाधित होने से तीन महीने में लक्षण लौट आते हैं और छह महीने में शरीर और दिमाग पर गंभीर असर दिखने लगता है। एक साल बाद यह नुकसान स्थायी और जानलेवा हो सकता है।

राज्यसभा में कांग्रेस सांसद इमरान प्रतापगढ़ी ने इस मुद्दे को उठाया और पूछा कि इतनी धनराशि के बावजूद केवल 20 प्रतिशत से कम मरीज ही उपचार पा रहे हैं। स्वास्थ्य राज्यमंत्री प्रतापराव जाधव ने इसे राज्य सरकारों का विषय बताया और बताया कि उत्कृष्टता केंद्रों में आंतरिक लेखापरीक्षा और सीएजी लेखापरीक्षा प्रणाली के माध्यम से नियमित ऑडिट की जाती है।

एम्स दिल्ली में सात मरीजों का इलाज रुका हुआ है, सीएचजी आइजीएच बेंगलुरू में 24, आइपीजीएमईआर एसएसकेएम कोलकाता में 10, आइसीएच एग्मोर में छह, एसजीपीजीआइ लखनऊ में दो और एम्स जोधपुर में एक मरीज का इलाज रुका हुआ है। दर्ज मौतों में एम्स नई दिल्ली में पांच, एमएएमसी नई दिल्ली में एक, केईएम मुंबई में आठ, एसजीपीजीआइ लखनऊ में दस, पीजीआइएमईआर चंडीगढ़ में दो, आइपीजीएमईआर एसएसकेएम कोलकाता में दो, सीडीएफडी निजाम इंस्टीट्यूट हैदराबाद में दस, सीएचजी आइजीएच बेंगलुरू में सात, आइसीएच एग्मोर में एक और एम्स जोधपुर में चार मौतें दर्ज हैं।