धराली की आपदा ने कई परिवारों की खुशियां और सुकून छीन लिया है। इस त्रासदी में लापता लोगों की तलाश लगातार चल रही है। इनमें उत्तर प्रदेश के सहारनपुर के 3 परिवार भी शामिल हैं। जिनके अपने अब तक नहीं मिल पाए हैं। दर्द इतना गहरा है कि न दिन को चैन है और न रात को नींद।
सहारनपुर के 3 युवक जो धराली में वेल्डिंग का काम करते थे। इस आपदा के बाद से लापता हैं। सहारनपुर के जुखेड़ी गांव के कपिल ने उत्तरकाशी के मातली हेलीपैड पर अपने परिवार की पीड़ा सुनाई। उन्होंने बताया कि उनका छोटा भाई मुकेश कुमार उम्र 22 साल। चाचा का बेटा दीपांशु उम्र 19 साल। और ननौता के आफताब उम्र 18 साल। ये 3ों धराली में काम करते थे।
कपिल की आंखें भर आईं जब उन्होंने बताया कि 5 अगस्त की सुबह करीब 9 बजे पिता राम सिंह ने मुकेश से फोन पर बात की थी। मुकेश ने कहा था कि यहां हल्की बारिश हो रही है और वह काम पर जा रहा है। लेकिन उसी दिन दोपहर में खबर आई कि धराली में भयानक आपदा आ गई है। इसके बाद मुकेश और दीपांशु दोनों के नंबर बंद हो गए।
दीपांशु अपने परिवार का इकलौता बेटा था। वह सिर्फ 2 महीने पहले ही मुकेश और आफताब के साथ धराली आया था। आपदा की तस्वीरें और वीडियो देखने के बाद हम लोग तुरंत सहारनपुर से रवाना हुए और अगले दिन सुबह उत्तरकाशी पहुंचे। लेकिन गगनानी के आगे सड़क टूटने के कारण धराली नहीं जा पाए।
कपिल ने बताया कि हम 7 दिन से मातली हेलीपैड पर रुके हुए हैं। हर हेलीकॉप्टर की लैंडिंग के साथ उम्मीद बंधती है कि शायद इस बार हमारा अपना लौट आए। लेकिन हर बार निराशा ही हाथ लगती है।
जिलाधिकारी प्रशांत आर्य ने बताया कि धराली आपदा में लापता लोगों की सूची तैयार की जा रही है और परिजनों से लगातार संपर्क किया जा रहा है। वे खुद प्रभावित क्षेत्र में डटे हुए हैं और सर्च रेस्क्यू अभियान से लेकर राहत सामग्री के वितरण तक हर काम की निगरानी कर रहे हैं।
प्रभावित परिवारों को सहायता राशि समय पर पहुंचाने से लेकर जरूरी सामान भेजा जा रहा है। सड़क मार्ग की बहाली और हर्षिल में बनी अस्थायी झील से पानी निकालने का काम तेज गति से जारी है। हाल ही में डबरानी के पास ओएफसी लाइन कटने से नेटवर्क बाधित हो गया था जिसे बहाल करने की कोशिश हो रही है। किसानों और बागवानों के नुकसान का आकलन भी किया जा चुका है और धराली में टूटी सड़कों को सुचारू करने के प्रयास जारी हैं।
हर्षिल गाड़ में जमा मलबा हटने के बाद गंगोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग सोनगाड़ तक खुल जाएगा। सोनगाड़ में 400 मीटर सड़क पूरी तरह से बह चुकी है। अभी गंगोत्री से धराली और हर्षिल से सोनगाड़ तक ट्रांसशिप के जरिए यातायात चल रहा है। सोनगाड़ से डबरानी तक 2 किलोमीटर का पैदल रास्ता है। वहां से आगे उत्तरकाशी तक सड़क खुली हुई है।
