उत्तराखंड के हल्द्वानी में 118 बॉन्ड धारक डॉक्टर हुए बिना बताए गायब, अब विभाग ने नोटिस किया जारी

उत्तराखंड के हल्द्वानी में एक बड़ा मामला सामने आया यहां सरकारी खर्च पर बने डॉक्टर ने बॉन्ड नियमों का उल्लंघन किया। विभिन्न सरकारी अस्पतालों में…

n67641270617549687672651cb9d489ac35f5bc6beafd2918876b6acf2473e20c5b3042763598baf11d9915

उत्तराखंड के हल्द्वानी में एक बड़ा मामला सामने आया यहां सरकारी खर्च पर बने डॉक्टर ने बॉन्ड नियमों का उल्लंघन किया। विभिन्न सरकारी अस्पतालों में तैनात होने के बाद 118 बॉन्ड धारक डॉक्टर अपनी सेवा से गायब दिखे।


राजकीय मेडिकल कॉलेज हल्द्वानी के 118 बॉन्ड धारक डॉक्टर ने अपने बॉन्ड के शर्तों को ना देखते हुए उत्तराखंड के सरकारी अस्पताल में अपनी सेवाएं नहीं दी और सारी शर्तों का उल्लंघन किया। इसके बाद हल्द्वानी मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने सभी को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। जवाब नहीं आने पर जिलाधिकारी को पत्र भेजकर डॉक्टर के खिलाफ कानूनी कार्यवाही की मांग की जाएगी।


सरकार ने इन डॉक्टरों को कम खर्चे में बॉन्ड के तहत मेडिकल पढ़ाई करवाई थी। पढ़ाई पूरी होने के बाद डॉक्टरों को उत्तराखंड के विभिन्न सरकारी अस्पतालों में तैनाती भी दी गई लेकिन यह बॉन्ड धारक डॉक्टर अपनी तैनाती स्थल पर नहीं पहुंचे। अब मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने उनके खिलाफ कानूनी कार्यवाही का फैसला किया है।


इन डॉक्टरों में 28 पीजी 90 एमबीबीएस डिग्री धारक डॉक्टर शामिल हैं। मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने चेतावनी दी है कि जवाब न देने पर डॉक्टरों के गृह जनपद के जिलाधिकारी को पत्र भेजकर उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी। इनसे 20 लाख से लेकर 2.5 करोड़ रुपए तक की वसूली की कार्रवाई की जाएगी। इन सभी डॉक्टरों ने पढ़ाई के दौरान रियायती फीस के एवज में जो बॉन्ड भरा गया था, उन शर्तों का उल्लंघन किया है।


बताया जा रहा है कि इन डॉक्टरों ने एमबीबीएस कोर्स के दौरान एक बंद साइन किया था। जिसमें उन्हें निर्धारित अवधि तक सरकारी अस्पतालों में सेवा देनी थी।


डीजी हेल्थ के माध्यम से डॉक्टरों की उत्तराखंड के अलग-अलग अस्पतालों में तैनाती भी की गई। इन डॉक्टरों ने अपनी तैनाती के बाद निर्धारित स्थानों पर कार्य नहीं किया, जोकि बॉन्ड की शर्तों का उल्लंघन है।


इन डॉक्टरों को पूर्व में नोटिस जारी करके जवाब मांगा गया था लेकिन अभी तक कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला। इसके बाद अब उन्हें अंतिम नोटिस जारी किया गया और डॉक्टर से 15 दिन के अंदर जवाब मांगा गया जवाब नहीं देने पर बंद धारक डॉक्टर के गृह जिले के जिलाधिकारी को पत्र भेज कर कार्रवाई की मांग की जाएगी।