असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा के एक पोस्ट पर खूब चर्चा हो रही है जिसमें राज्य की चुटिया समुदाय को आरक्षण देने की बात कही जा रही है। कुछ लोग इस समुदाय के नाम को पढ़कर हैरानी जाता रहे हैं लेकिन इसके पीछे का एक समृद्ध और गौरवशाली इतिहास भी है।
सीएम सरमा ने X पर लिखा कि दशकों तक इस समुदाय की आकांक्षाओं को अनदेखा किया गया, लेकिन अब उन्हें उनका हक मिल रहा है। सरकार ने बिरांगना सती साधनी की प्रतिमा, 77 करोड़ रुपये की आर्थिक सहायता, एक राज्य विश्वविद्यालय और अब उच्च शिक्षा में आरक्षण जैसे कदम उठाए हैं।
इस फैसले के तहत राज्य विश्वविद्यालय में 18 सीटे, पॉलिटेक्निक में 9 सीटे और इंजीनियरिंग कॉलेज में 32 सीटे चुटिया छात्रों के लिए आरक्षित की जा रही है।
कौन हैं चुटिया समुदाय?
चुटिया समुदाय असम का एक प्राचीन जनजातीय समुदाय है जो मुख्य रूप से ऊपरी असम के तिनसुकिया डिब्रूगढ़, धेमाजी और लखीमपुर जिलों में रहता है. ऐतिहासिक तौर पर, इस समुदाय ने 12वीं से 16वीं शताब्दी तक ब्रह्मपुत्र घाटी में चुटिया साम्राज्य की स्थापना की थी। यह राज्य अपनी समृद्ध, संस्कृति और कृषि उत्पादन और सामाजिक योगदान के लिए प्रसिद्ध है। आज छुट्टियां समुदाय को असम में ओबीसी श्रेणी में रखा गया। अधिकांश लोग खेती, छोटे व्यवसाय सरकारी सेवाओं से जुड़े हैं लेकिन अपनी भाषा परंपरा त्योहार जैसे बिहू को पूरी शिद्दत से संजोए हुए हैं।
उच्च शिक्षा में आरक्षण
असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने रविवार को ऐलान किया कि राज्य की चुटिया समुदाय के छात्रों को उच्च आरक्षण अब दिया जाएगा। इसमें राज्य के विश्वविद्यालय पॉलिटेक्निक और इंजीनियरिंग कॉलेज में उनके लिए सीटे रिजर्व की जाएगी। इस आरक्षण से लगभग शिक्षा के क्षेत्र में इन युवाओं को नए अवसर मिलेंगे बल्कि यह कदम असम की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विविधता को भी मजबूती देगा।
