रिजर्व बैंक का बयान यूपीआई के फ्री रहने पर नहीं है कोई गारंटी, कभी भी लग सकता है चार्ज

भारतीय रिजर्व बैंक ने फिर से ये साफ कर दिया है कि यूपीआई जैसी सुविधा मुफ्त नहीं चल रही है और इसके संचालन पर खर्च…

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भारतीय रिजर्व बैंक ने फिर से ये साफ कर दिया है कि यूपीआई जैसी सुविधा मुफ्त नहीं चल रही है और इसके संचालन पर खर्च होता है। बुधवार को मौद्रिक नीति समिति की मीटिंग के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में रिजर्व बैंक के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने ये बात साफ शब्दों में कही। उन्होंने कहा कि यह कहना गलत होगा कि यूपीआई हमेशा मुफ्त ही रहेगा। उन्होंने बताया कि कोई न कोई तो इसके लिए भुगतान कर ही रहा है। अभी सरकार इसकी लागत उठा रही है लेकिन ये नहीं कहा जा सकता कि आगे भी यही व्यवस्था रहेगी।

संजय मल्होत्रा ने बताया कि असल सवाल ये नहीं है कि यूपीआई का इस्तेमाल करने पर पैसा देना होगा या नहीं। असली सवाल ये है कि इसके खर्च का बोझ कौन उठाएगा। सरकार फिलहाल इस पर सब्सिडी दे रही है लेकिन उन्होंने कहीं भी ये नहीं कहा कि आम लोगों से इसकी कीमत वसूली जाएगी। उन्होंने कहा कि यूपीआई को चलाने में जो खर्च आता है वो तो है ही और किसी न किसी को तो ये बोझ उठाना ही होगा। या तो ये बोझ सब मिलकर उठाएं या फिर कोई एक संस्था।

उन्होंने ये भी कहा कि मौजूदा वक्त में सरकार की प्राथमिकता यूपीआई को ज्यादा से ज्यादा बढ़ावा देना है और इस दिशा में लगातार काम किया जा रहा है। लोगों में इसका भरोसा बढ़ा है और अब बड़ी संख्या में लोग इसका इस्तेमाल कर रहे हैं। भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम की रिपोर्ट बताती है कि जुलाई दो हजार पच्चीस में यूपीआई से होने वाले लेनदेन का आंकड़ा उन्नीस अरब के पार पहुंच गया और इसकी कुल रकम पच्चीस लाख करोड़ से भी ज्यादा रही। ये अब तक का दूसरा सबसे बड़ा रिकॉर्ड है।

गवर्नर की ओर से दी गई इस सफाई के बाद ये साफ हो गया है कि फिलहाल आम लोगों से कोई शुल्क नहीं लिया जाएगा लेकिन भविष्य में इसकी व्यवस्था क्या होगी ये सरकार और रिजर्व बैंक की नीति पर निर्भर करेगा।