वाराणसी में गंगा का पानी इस वक्त हर ओर फैलता जा रहा है। वरुणा गोमती और नाद नदियां भी उफान पर हैं। बाढ़ अब सिर्फ किनारे नहीं बल्कि दूर-दराज के इलाकों तक पहुंच गई है। रविवार तक जहां चौवालीस गांव पानी में घिरे थे वहीं सोमवार तक इनकी संख्या बढ़कर चौवन हो गई है। यानी चौबीस घंटे के भीतर दस और गांव डूब गए हैं।
शहर के कई इलाकों में भी पानी घुस आया है। कुल चौबीस वार्डों और मोहल्लों तक पानी फैल चुका है। घाट डूबे हैं। सड़कों पर बाढ़ का पानी बह रहा है। मकान पानी में आधे समा गए हैं। पिसौर आराजीलाइन के मरुई सिहोरवां और जक्खिनी गांवों तक पानी पहुंच चुका है। हुकुलगंज में रहने वाला तीस साल का युवक मोनू चौहान बाढ़ के पानी में डूब गया। उसका शव एनडीआरएफ की टीम ने निकाला है। मोनू के परिवार ने सरकार से राहत राशि की मांग की है।
सबसे ज्यादा चिंता इस बात की है कि गंगा का जलस्तर अभी भी ऊपर की ओर बढ़ रहा है। सोमवार की रात बारह बजे तक गंगा का जलस्तर बहत्तर दशमलव एक पांच मीटर दर्ज किया गया जो खतरे के निशान से नब्बे सेंटीमीटर ज्यादा है। सोमवार को दिन में पानी बढ़ने की रफ्तार थोड़ी कम रही लेकिन रात में ये रफ्तार एक सेंटीमीटर प्रतिघंटा तक पहुंच गई। रविवार को गंगा दो सेंटीमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से बढ़ रही थीं।
अस्सी घाट दशाश्वमेध शीतला घाट और सामने घाट जैसे हिस्सों में गंगा का पानी अब सड़कों तक पहुंच गया है। शहर की पॉश कॉलोनियों में भी पानी घुसने लगा है। कई ग्रामीण इलाकों के संपर्क मार्ग टूट चुके हैं जिससे गांवों का शहर से जुड़ाव खत्म हो गया है।
चिरईगांव के छितौना चांदपुर रामचंदीपुर और मुस्तफाबाद रेतापार जैसे गांवों में गंगा की लहरें अब रास्तों तक पहुंच गई हैं। लोग अब भी इन रास्तों से आ जा रहे हैं लेकिन प्रशासन ने चेतावनी दी है कि अलर्ट रहें। छितौना के रहने वाले जयगोविंद यादव ने बताया कि उनका गांव इलाके का सबसे बड़ा पशुपालन केंद्र है और अब तीन तरफ से बाढ़ से घिर गया है। जानवरों के चारे की भारी किल्लत हो गई है। चांदपुर के प्रधान प्रतिनिधि संजय सोनकर के मुताबिक यादव और सोनकर बस्ती जाने वाले रास्तों पर चार फीट तक पानी जमा हो गया है।
जक्खिनी से मिली जानकारी के मुताबिक सिहोरवा दक्षिणी शाहंशाहपुर और जक्खिनी के खेतों तक पानी पहुंच गया है। शाहंशाहपुर के किसान दिनेश मिश्रा ने बताया कि उनकी तीन बीघा बैगन की फसल पानी में डूब चुकी है। मरुई और शाहंशाहपुर की राहत चौकियों पर अब लोग अपने मवेशियों और परिवार वालों के साथ पहुंचने लगे हैं।
चौबेपुर से मिली खबर के मुताबिक पिपरी लक्ष्मीसेनपुर और टेकरी गांव अब पूरी तरह से कट चुके हैं। गांव से शहर की ओर निकलने के लिए लोग नावों का सहारा ले रहे हैं। खेतों में खड़ी फसलें डूब चुकी हैं। चारे की कमी की वजह से जानवरों को संभालना मुश्किल हो रहा है।
वाराणसी के घाटों की हालत और भी गंभीर हो गई है। शवदाह के लिए परिजनों को घंटों इंतजार करना पड़ रहा है। हरिश्चंद्र घाट पर मुख्य रास्ते से लेकर मंदिर के मोड़ तक पानी भर गया है। गली के अंदर जो स्थान अंतिम संस्कार के लिए है वहां एकसाथ सिर्फ तीन शवों की चिता जल पा रही है। बाकी परिवारों को छह घंटे तक इंतजार करना पड़ रहा है।
बारिश रुक रुककर हो रही है जिससे हालात और बिगड़ रहे हैं। मणिकर्णिका घाट की हालत सबसे ज्यादा खराब है। यहां शवों और लकड़ियों को नाव से लाया जा रहा है। रास्ते बहुत संकरे हैं जिससे चलना बेहद मुश्किल हो गया है।
सतुआ बाबा आश्रम के पास तक पानी पहुंच गया है। यहां कई परिवार अपनी अंतिम परंपराएं पूरी करते हैं लेकिन अब पानी की वजह से ये सब भी नहीं हो पा रहा है। आश्रम के बाहर शव रखकर जो पिंडदान होता था वह अब रुक गया है। मणिकर्णिका घाट के सामने काशी विश्वनाथ द्वार के गेट के पास की दुकानें भी बंद करवा दी गई हैं क्योंकि अब इसी रास्ते से लोग शव लेकर घाट तक पहुंच रहे हैं।
