देहरादून से शुरू हुई तेज बारिश ने उत्तराखंड के ज्यादातर इलाकों को मुश्किल में डाल दिया है। बीती आधी रात से बारिश का जो दौर शुरू हुआ, वो थमने का नाम ही नहीं ले रहा। देहरादून, टिहरी, पौड़ी और बागेश्वर जिलों में तो हालात और भी खराब हो चले हैं। कहीं सड़कों पर पानी भर गया है, तो कहीं मलबा आने से रास्ते बंद हो गए हैं। मौसम विभाग ने 4 और 5 अगस्त को लेकर अलर्ट दे रखा है। ऐसे में लोगों को बहुत ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत बताई जा रही है।
देहरादून में रात को शुरू हुई बारिश कई घंटे तक चलती रही। जिससे कई मोहल्लों और सड़कों पर पानी भर गया है। लोग घरों में कैद हो गए हैं। वहीं पहाड़ी इलाकों में लगातार बारिश से भूस्खलन का खतरा बढ़ गया है। खासकर चारधाम यात्रा मार्गों पर ज्यादा सतर्कता बरतने के निर्देश सरकार की ओर से दिए गए हैं।
मौसम विभाग में कार्यरत वैज्ञानिक रोहित थपलियाल का कहना है कि अगले दो दिन देहरादून, टिहरी, पौड़ी और बागेश्वर में भारी बारिश हो सकती है। इसके अलावा नैनीताल, चंपावत, हरिद्वार, उत्तरकाशी, चमोली, रुद्रप्रयाग और अल्मोड़ा जैसे जिलों में भी तेज बारिश के आसार हैं। कहीं-कहीं तो बहुत ज्यादा बारिश भी हो सकती है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सभी जिलाधिकारियों के साथ ऑनलाइन बैठक की है। चारधाम यात्रा के रूट को लेकर खास ध्यान देने की बात कही गई है। बारिश से पैदा हुए हालात को देखते हुए कई जिलों से अपडेट भी मंगवाए गए हैं। लोक निर्माण विभाग के सचिव पंकज कुमार पांडेय ने बताया है कि बारिश के चलते प्रदेश में कुल 61 सड़कें बंद हो गई हैं। जिन्हें खोलने की कोशिशें जारी हैं।
फिलहाल हालत यह है कि मैदान से लेकर पहाड़ तक हर जगह बारिश ने लोगों की दिक्कतें बढ़ा दी हैं। कहीं पानी भर गया है, तो कहीं भूस्खलन से रास्ते बंद हैं। मौसम विभाग ने देहरादून, टिहरी, पौड़ी और बागेश्वर के लिए रेड अलर्ट जारी किया है। यानी यहां हालात और भी बिगड़ सकते हैं।
वैज्ञानिक रोहित थपलियाल के मुताबिक बीते 24 घंटे में कहीं हल्की तो कहीं तेज बारिश दर्ज की गई है। लेकिन अब 4 और 5 अगस्त को भारी बारिश की स्थिति बन सकती है। यही वजह है कि मौसम विभाग ने साफ चेतावनी दी है कि कोई भी व्यक्ति बिना जरूरी कारण के यात्रा न करे।
6, 7 और 8 अगस्त को बारिश थोड़ी थम सकती है, लेकिन इन दिनों में भी कई जगहों पर हल्की से मध्यम बारिश होती रहेगी। कुछ इलाकों में भारी बारिश के भी आसार हैं। खासतौर पर पर्वतीय जिलों में लोगों को बहुत ज्यादा सावधानी बरतने की जरूरत है। क्योंकि पहाड़ों में बारिश के साथ ही भूस्खलन और नदियों के जलस्तर में बढ़ोतरी की आशंका बनी हुई है।
