देश में अक्सर लोग तबियत खराब होने पर घर में रखी पुरानी दवाइयां खा लेते हैं। उन्हें लगता है कि पहले भी यही दवा ली थी तो अब भी असर करेगी। लेकिन डॉक्टरों की माने तो ऐसा करना कई बार जानलेवा साबित हो सकता है। बिना जांच और सलाह के किसी भी दवा का इस्तेमाल करना ठीक नहीं होता। अब सरकार ने भी एक अहम दवाई को लेकर चेतावनी जारी की है।
बात हो रही है रैनिटिडिन की। ये दवा गैस और एसिडिटी के लिए आमतौर पर इस्तेमाल होती है। लेकिन अब इसके अंदर एक ऐसा तत्व पाया गया है जो सेहत के लिए बेहद खतरनाक हो सकता है। इसे एन डी एम ए कहा जाता है। वैज्ञानिक भाषा में इसे कैंसर पैदा करने वाला केमिकल बताया गया है। इसी को लेकर सरकार ने देश के सभी राज्यों और केंद्रशासित इलाकों में जांच के आदेश दिए हैं।
इस फैसले की शुरुआत तब हुई जब अप्रैल महीने में एक अहम बैठक बुलाई गई। इसमें ड्रग्स टेक्निकल एडवाइजरी बोर्ड के सामने एक रिपोर्ट रखी गई जो दिसंबर में बनाई गई थी। उस रिपोर्ट में कहा गया कि रैनिटिडिन में जो खतरनाक तत्व मिल सकता है वह दवा के भंडारण और बनाने की प्रक्रिया के कारण भी बन सकता है। इस बैठक के बाद ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया ने जांच का आदेश जारी किया।
इसके अलावा इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च को भी यह जिम्मेदारी दी गई है कि वह इस दवा के असर और नुकसान को लेकर लंबी अवधि की रिसर्च करे। साथ ही यह भी देखा जाए कि किन हालात में दवा के अंदर ये खतरनाक केमिकल बन सकता है।
दवा कंपनियों को अब यह कहा गया है कि वे अपने उत्पादों में इस तत्व की मात्रा की नियमित जांच करें। साथ ही स्टोरेज और एक्सपायरी से जुड़ी शर्तों को भी सख्ती से लागू करें। कुछ डॉक्टरों का कहना है कि जब और भी सुरक्षित दवाएं उपलब्ध हैं तो इस दवा को इस्तेमाल में लाने की जरूरत नहीं है।
अमेरिका जैसे कई देशों में इस दवा पर पहले ही रोक लग चुकी है। भारत में अब दोबारा इसे लेकर नजर रखी जा रही है। सरकार का कहना है कि यह कदम लोगों की सेहत को ध्यान में रखकर उठाया गया है। अगर कोई भी व्यक्ति इस दवा का इस्तेमाल कर रहा है तो उसे तुरंत डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।
आम लोगों को सलाह दी जा रही है कि पेट में गैस या एसिडिटी होने पर घरेलू नुस्खों का सहारा लें। जैसे सौंफ। अजवाइन। पुदीना। या हींग का सेवन करें। बिना डॉक्टर की सलाह के कोई भी गोली खाना सही नहीं है। जल्दी खाने। धूम्रपान करने या गम चबाने से भी पेट में गैस बन सकती है। ऐसे में दवा से ज्यादा जरूरी है कि पहले कारण समझें और फिर इलाज करें।
